बेबाक, निष्पक्ष, निर्भीक
April 18, 2024
ब्लॉग विचार

विपक्षी पार्टियाँ क्या शमशान और कब्रिस्तान में साधना कर रही है ? पढ़िए विनय ओसवाल का यह पोस्ट-

  • July 4, 2017
  • 1 min read
विपक्षी पार्टियाँ क्या शमशान और कब्रिस्तान में साधना कर रही है ? पढ़िए विनय ओसवाल का यह पोस्ट-

स्थिति 1975 की इमरजेंसी से ज्यादा भयावह है | किसे विपक्षी पार्टी कहा जाए ? इस प्रश्न को लेकर मुझे बहुत भ्रम है । शायद उन्हें विपक्षी पार्टी कहना उचित होगा जो शमशान और कब्रिस्तान में अपने अतीत की मुठ्ठी भर राख या कब्र में मुर्दा शरीर से संवाद स्थापित करने की साधना में तल्लीन हैं । पाठक बेहतर बता पाएंगे । पाठको को याद होगा बीजेपी का वो वक्त (2009 से 2013) जब वह विपक्ष की भूमिका में थी । तब सड़के भी उसके साथ खड़ी दिखती थी । जीवंत बोलती थी । सत्ता से बाकायदा संवाद करती थी । आज विपक्षी पार्टियां शमशान और कब्रिस्तान में साधना कर रही है । सत्ता से संवाद के लिए सोशल मीडिया पर इक्का दुक्का चेहरे ही सत्ता से संवाद करते मिलते है । विपक्ष नदारद है । मीडिया सड़कों का सूनापन नही दूर कर सकता । ये काम विपक्ष को ही करना होता है । मीडिया उसे खुराक दे सकता है । सड़को का सूनापन नही दूर कर सकता । यही कारण है आज सड़के सूनी हैं और सत्ता तानाशाही की ओर मजबूती से कदम दर कदम बढ़ाती चल रही है । उस मदमस्त हांथी की तरह जो कुत्तों के भौंकने से बेपरवाह अपने सफर को जारी रखता है ।

स्थिति 1975 की इमरजेंसी से ज्यादा भयावह है |

-विनय ओसवाल (वरिष्ठ पत्रकार) के फेसबुक वॉल से साभार