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विजय माल्या को उच्चतम न्यायालय ने अदालत की अवमानना का दोषी करार दिया

  • May 9, 2017
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विजय माल्या को उच्चतम न्यायालय ने अदालत की अवमानना का दोषी करार दिया

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आज कारोबारी विजय माल्या को अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया। माल्या ने अदालत के आदेश का उल्लंघन करते हुए अपने बच्चों को चार करोड़ डॉलर भेजे थे। ब्रिटेन में रह रहे विजय माल्या को शीर्ष अदालत ने मामले में सजा तय करने संबंधी बहस के लिए दस जुलाई से पहले अदालत के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया।
हाल ही में भारत ने ब्रिटेन से माल्या का जल्द प्रत्यारोपण सुनिश्चित करने को कहा था। माल्या बैंकों का 9000 करोड़ रूपये का कर्ज नहीं चुकाने के मामले में आरोपी है। यह मामला माल्या की किंगफिशर एयरलाइन्स से जुड़ा है।
न्यायमूर्ति एके गोयल और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने कहा, ‘‘प्रतिवादी संख्या तीन : माल्या: को दो आधारों पर अदालत की अवमानना का दोषी पाया है।’’ यह आदेश एसबीआई के नेतृत्व वाले बैंकों के समूह की याचिका पर आया है। याचिका में कहा गया था कि माल्या ने ब्रिटेन की कंपनी डियागो से प्राप्त चार करोड़ डॉलर की राशि विभिन्न न्यायिक आदेशों का ‘‘गंभीर उल्लंघन’’ करते हुए कथित तौर पर अपने बच्चों को भेजी। शीर्ष अदालत ने गत नौ मार्च को शराब कारोबारी माल्या से बच्चों को पैसा भेजने तथा संपत्तियों के खुलासे की ‘‘सत्यता’’ के बारे में पूछा था।
पीठ ने दो याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। इनमें माल्या के खिलाफ अवमानना कार्रवाई करने तथा उन्हें डियागो फर्म से प्राप्त चार करोड़ डॉलर जमा करवाने का निर्देश देने की मांग की गई थी। बैंकों ने आरोप लगाया था कि माल्या ने तथ्य छिपाए और कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश का ‘‘गंभीर उल्लंघन’’ करते हुए अपने बेटे सिद्धार्थ माल्या और बेटियों लियाना माल्या तथा तान्या माल्या को पैसे भेजे। पीठ ने बैंकों के समूह के समक्ष कई प्रश्न रखे और पूछा कि माल्या के खिलाफ क्या कोई आपराधिक मुकदमा शुरू किया गया है।
बैंकों की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी और वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि जब तक माल्या अदालत में चार करोड़ डॉलर जमा नहीं करवा देते तब तक उनकी सुनवाई नहीं होनी चाहिए, इसके अलावा चूंकि अवमानना नोटिस पहले ही जारी हो चुका है इसलिए उन्हें व्यक्तिगत तौर पर पेश होना चाहिए।