उत्तर प्रदेश में 50 से उपर वाले 16 अफसरों को किया गया, जबरन रिटायर
लखनऊ। प्रदेश सरकार में 50 साल से अधिक उम्र के दागी अधिकारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए 16 अधिकारियों को जबरन रिटायर कर दिया गया। जबरन रिटायर किए गए लोगों में तीन डीएसपी, व्यापार कर विभाग के पांच अधिकारी और शिक्षा विभाग के बीएसए स्तर के आठ अधिकारी शामिल हैं। इन सभी के खिलाफ किसी न किसी मामले में जांच चल रही थी, जिसमें भ्रष्टाचार और अक्षमता के आरोप थे।
दागदार सेवा और कम कार्यक्षमता के आधार पर चिह्नित किए प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) के जिन तीन अफसरों को जबरन रिटायर किया गया है, उनमें डीएसपी केश करन सिंह, कमल यादव व श्यारोज सिंह को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का आदेश गुरुवार को गृह विभाग की ओर से जारी कर दिया गया।
प्रदेश सरकार ने वाणिज्य कर विभाग की ओर से चिह्नित किए गए पांच अफसरों को भी अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का आदेश जारी कर दिया।
इसमें एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-2 केशव लाल, ज्वाइंट कमिश्नर डॉ. अनिल कुमार अग्रवाल, ज्वाइंट कमिश्नर हरीराम चौरसिया, डिप्टी कमिश्नर कौशलेश व असिस्टेंट कमिश्नर इंद्रजीत यादव शामिल हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि केशव लाल के खिलाफ आय से ज्यादा संपत्ति जमा करने के आरोप भी रहे हैं। आईएएस व आईपीएस के लिए स्क्रीनिंग कमेटी बनी प्रदेश सरकार ने आईएएस व आईपीएस के यूपी कैडर के अफसरों की स्क्रीनिंग के लिए भी कमेटी का गठन कर दिया है।
आईएएस की कमेटी में मुख्य सचिव राजीव कुमार अध्यक्ष, अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक दीपक त्रिवेदी सदस्य, अन्य राज्य के सदस्य के रूप में उत्तराखंड के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अनूप बधावन को शामिल किया गया है। आईपीएस की कमेटी में बाहरी सदस्य के रूप में कमेटी में उत्तराखंड के डीजीपी अनिल रतूड़ी को नामित किया गया है। मुख्य सचिव राजीव कुमार की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी में प्रमुख सचिव गृह अरविन्द कुमार, प्रमुख सचिव मत्य, पशुधन व दुग्ध विकास सुधीर एम. बोवड़े व डीजीपी सुलखान सिंह हैं।
यह कमेटी आईपीएस संवर्ग के 50 वर्ष से अधिक की उम्र के ऐसे अफसरों को चिह्नित करेगी, जिनका कॅरियर दागदार रहा है और उनकी कार्यक्षमता अपेक्षा के अनुरूप नहीं है। प्रदेश सरकार कई विभागों में ऐसे अफसरों को चिह्नित करके उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे चुकी है। अब इस कमेटी के माध्यम से चिह्नित होने वाले आईपीएस अफसरों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के संबंध में प्रदेश सरकार निर्णय लेगी।