बेबाक, निष्पक्ष, निर्भीक
March 28, 2024
ब्रेकिंग न्यूज़ विशेष समाज

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के ये हैं वो फैसले जिन्होंने देशवासियों के जीवन में लाया बड़ा बदलाव-

  • August 20, 2020
  • 1 min read
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के ये हैं वो फैसले जिन्होंने देशवासियों के जीवन में लाया बड़ा बदलाव-

नई दिल्ली। देश आज पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के दिवंगत नेता राजीव गांधी की 75वीं जयंती मना रहा है और उनकी दूरदर्शी सोच के लिए उन्हें नमन कर रहा है। इस मौके पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने वीर भूमि जाकर पिता राजीव गांधी को श्रद्धांजलि दी।

20 अगस्त, 1944 को जन्मे राजीव गांधी पेशे से पायलट बनना चाहते थे और वह बने भी लेकिन 1980 में ऐसे हालात बने कि उन्हें मां इंदिरा गांधी के कहने पर भाई संजय गांधी की लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना पड़ा और फिर साल 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद प्रधानमंत्री का कार्यभार भी संभालना पड़ा। वह इस वक्त सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री थे। हालांकि युवा सोच होने की वजह से उन्होंने अपने कार्यकाल में कई ऐसे ऐतिहासिक फैसले किए जिसकी बदौलत 21वीं शदी के हिन्दुस्तान का नींव रखी गई। तो चलिए हम बात करते हैं पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के उन ऐतिहासिक फैसलों की जिन्होंने हिन्दुस्तान को सपना देखना और फिर उन्हें सच करना सिखाया।

शनिवार और रविवार का अवकाश-
राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री रहते हुए सप्ताह में दो दिनों के अवकाश का प्रावधान करते हुए 5 दिन काम करने की नीति लागू की। इसके पीछे उनका मकसद था कि कर्मचारियों को थोड़ा ज्यादा आराम देकर सरकारी छुट्टियों को कम किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने पांच बजे बंद होने वाले दफ्तरों की समयसीमा को बढ़ाकर छह बजे तक कर दिया था।

युवाओं को मताधिकार-
आज के वक्त में 18 साल का युवा अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर वोट डालता है और उंगली पर स्याही का निशान लिए सोशल मीडिया पर सेल्फी अपलोड करता है और यह कहता है कि उसने एक मजबूत लोकतंत्र को बनाने में अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया लेकिन क्या आपको पता है कि पहले 18 साल के युवाओं को मतदान करने का अधिकार नहीं था।

राजीव गांधी ने अपने कार्यकाल में युवाओं को देश निर्माण का अधिकार देते हुए मताधिकार की उम्र 21 साल से घटाकर 18 साल कर दी। सरकार के इस फैसले से उस वक्त 5 करोड़ युवाओं को वोट डालने का अधिकार प्राप्त हो गया था। यह उस समय का सबसे बड़ा फैसला था।

पंचायती राज-
पूर्व प्रधनमंत्री राजीव गांधी का मानना था कि गांव की उन्नति से ही देश की उन्नति होगी। ऐसे में उन्होंने गांवों को सशक्त बनाने के लिए पंचायती राज व्यवस्था को लागू करने का बड़ा फैसला किया। इसके लिए राजीव गांधी ने अपने कार्यकाल में पूरा प्रस्ताव तैयार कराया। जिसके बाद नरसिम्हा राव की सरकार ने 73वां संविधान संशोधन विधेयक पारित कराया और 24 अप्रैल 1993 से देश में पंचायती राज व्यवस्था लागू हो गई। दरअसल, राजीव गांधी का मानना था कि पंचायती राज व्यवस्था लागू करने से पंचायतो को ज्यादा अधिकार मिलेंगे। इसके साथ ही उनका मानना यह भी था कि सत्ता में ग्राम पंचायतों को वह दर्जा मिलना चाहिए जो संसद और विधानसभा को मिलता है।

नवोदय विद्यालय-
ग्रामीण बच्चों को अच्छी शिक्षा देने का पूरा श्रेय राजीव गांधी को जाता है। इसके लिए उन्होंने जवाहर नवोदय विद्यालयों की स्थापना की। देश में मौजूदा समय में 551 नवोदय विद्यालय हैं, जहां पर 1 लाख 80 हजार से ज्यादा छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। ये आवासीय विद्यालय होते हैं और प्रवेश परीक्षा के जरिए बच्चों को नवोदय विद्यालय में दाखिला मिलता है। नवोदय विद्यालय में कक्षा 6 से 12 तक बच्चों को मुफ्त में शिक्षा और रहने के लिए हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। बता दें कि राजीव गांधी ने यह क्रांतिकारी फैसला 1986 में घोषित शिक्षा नीति के तहत लिया था।

कम्प्यूटर और संचार क्रांति-
आज हमारा सारा काम कहीं न कहीं कम्प्यूटर और मोबाइल के बिना अधूरा रहता है। ऐसे में क्या आप जानते है कि भारत में कम्प्यूटर को लाने और उसे बढ़ावा देने का श्रेय किसे जाता है ? बता दें कि भारत में कम्प्यूटर और संचार का पूरा श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को ही जाता है। दरअसल, राजीव गांधी का मानना था कि देश के युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए कम्प्यूटर और विज्ञान का ज्ञान आवश्यक है। ऐसे में उन्होंने विज्ञान और टेक्नोलॉजी के लिए सरकारी बजट को बढ़ाया था। तत्कालीन सरकार ने कम्प्यूटर की कीमतें घटाने के लिए अहम फैसला लेकर इसे सरकारी नियंत्रण से अलग किया और असेंबल कंप्यूटर्स का आयात शुरू किया।

विवादित भूमि का ताला खुलवाया-
लंबे संघर्ष के बाद अब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की नींव मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों रखी जा चुकी है लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिन्दू समुदाय से नाराजगी को कम करने के लिए साल 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने विवादित स्थल का ताला खुलवाया था और फिर साल 1989 में राम मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास की भी इजाजत दे दी थी।