जमानत के बाद भी अलीगढ जेल नहीं छोड़ पाएंगे जेल में निरुद्ध श्रीलंकाई जमाती
अलीगढ | कोरोना काल में दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात में शामिल हुए उन विदेशी जमातियों की मुश्किल कम नहीं हो रहीं जो इन दिनों जेल में हैं। ये जमाती जमानत होने के बाद भी मुकदमे का निस्तारण होने तक जिला नहीं छोड़ सकेंगे और जिला पुलिस-प्रशासन की निगरानी में रहेंगे। अपने यहां भी श्रीलंकाई मूल के दो जमाती एक अप्रैल को रंगरेजान मसजिद से पकड़े गए थे जो इन दिनों जेल में हैं।
इसे लेकर उत्तर प्रदेश के विशेष सचिव रामनिवास शर्मा की ओर से डीएम-एसएसपी को निर्देशित पत्र मिला है। पत्र में साफ है कि विदेशी जमाती गैर कानूनी गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं या फिर वह फरार हो सकते हैं। कुछ जिलों मेें पकड़े गए जमाती जेल से बाहर आने के बाद अपने देश जाने की फिराक में लगे हैं। इनको सरकार का आदेश आने तक उनके मुल्क न भेजा जाए। उनकी कड़ी निगरानी रखी जाए। उनको उनके जमानती के घर ही रखा जाए। संबंधित थाने पर समय-समय पर बुलवाकर हाजिरी लगवाई जाए।
बताते चलें कि यहां पकड़े गए श्रीलंका के रहने वाले जमाती मो. मुर्शीद पुत्र पाकीर अली और एमजे हिपलुररहमान पुत्र जिहार 28 फरवरी को टूरिस्ट वीजा पर भारत आए थे। दो दिन निजामुद्दीन मरकज में रुकने के बाद एक मार्च को अलीगढ़ आ गए। इसी दौरान भारत के अलग-अलग शहरों व राज्यों के 11 जमातियों संग ये पकड़े गए थे। इन विदेशी जमातियों पर महामारी अधिनियम, लॉकडाउन उल्लंघन के अलावा वीजा नियमों के उल्लंघन का मुकदमा भी लगा था। क्योंकि ये टूरिस्ट वीजा पर आए थे। मगर, यहां धार्मिक गतिविधियों में शामिल हो गए। जिस शहर या थाना क्षेत्र में पहुंचे, वहां सूचना नहीं दर्ज कराई। इसलिए इन्हें जेल भेजा गया। इनके पासपोर्ट भी जब्त हैं और गृह एवं विदेश मंत्रालय को रिपोर्ट भेज हमेशा के लिए इनको काली सूची में दर्ज कर भारत आने के दरवाजे बंद कर दिए हैं। डीएम चंद्र भूषण सिंह ने शासन से ये निर्देश मिलने की पुष्टि की है।