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April 16, 2024
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अखिलेश-शिवपाल में सुलह की कोशिशें नाकाम, आर-पार की जंग शुरू

  • September 13, 2019
  • 1 min read
अखिलेश-शिवपाल में सुलह की कोशिशें नाकाम, आर-पार की जंग शुरू

लखनऊ | सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव में अब आर पार की लड़ाई छिड़ गयी है | अभी तक यादव परिवार में दिखाई दे रही सुलह की कोशिशें बेकार हो गयी हैं | अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव की विधायकी को चुनौती दिलाकर यह साफ़ कर दिया है | समाजवादी पार्टी ने विधानसभा अध्यक्ष के यहां याचिका दायर कर शिवपाल सिंह यादव की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग की है। अब निगाहें विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय पर टिक गई हैं |

https://www.youtube.com/watch?v=mmUzNAxD39c

विधानसभा में सपा के नेता और नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी की तरफ से दायर इस याचिका में जसवंतनगर सीट से सपा विधायक शिवपाल पर दलबदल का आरोप लगाया गया है। विधानसभा सचिवालय ने याचिका दायर होने की अधिसूचना जारी कर दी है। वैसे तो राजनीति में अंतिम कुछ भी नहीं होता लेकिन याचिका दायर होने से यादव परिवार में सुलह-समझौते की बची-खुची गुंजाइश भी खत्म होती लग रही है।

https://www.youtube.com/watch?v=7jP7qn94MOU

माना जा रहा है कि याचिका कराकर अखिलेश ने साफ कर दिया है कि अब चाचा शिवपाल के साथ उनका समझौता नहीं हो सकता। अखिलेश से 2016 में शुरू हुई तनातनी के बाद अब तक कई बार सुलह-समझौते की खबरें चलीं लेकिन हकीकत में नहीं बदली। इस बीच दोनों तरफ से बयानबाजी भी होती रही। मामला उस समय और तूल पकड़ गया जब अखिलेश और प्रो. रामगोपाल ने 2017 में सपा से ही चुनाव लड़ रहे शिवपाल के खिलाफ जसवंतनगर में वोट मांगे।

https://www.youtube.com/watch?v=HQ04BNtMpW4

हालांकि तकनीकी रूप से सपा विधायक होने के नाते वह खुद इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बने। इस वर्ष लोकसभा चुनाव के दौरान पीएसपी ने कई सीटों पर अपने उम्मीदवार भी उतारे थे। शिवपाल खुद फिरोजाबाद में अपने ही भतीजे अक्षय यादव के खिलाफ लड़े।

https://www.youtube.com/watch?v=z7IITyNpmEk

अखिलेश यादव ने सपा का राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाकर उससे प्रस्ताव पारित कराकर राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी ले ली दूसरी तरफ मुलायम सिंह ने भी खुद को अध्यक्ष बताते हुए विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की घोषणा कर दी। बाद में चुनाव आयोग के अखिलेश को राष्ट्रीय अध्यक्ष मान लेने के कारण मुलायम की सूची के प्रत्याशियों को साइकिल चुनाव चिह्न न मिल पाने के कारण कई मैदान से हट गए। पर, जसवंतनगर में शिवपाल के मुकाबले कोई मजबूत प्रत्याशी नहीं मिला। आखिरकार शिवपाल ही चुनाव लड़े।