जमातियों को NSA के तहत जेल में बंद करके पढ़ने को मुहैया कराया जाए क़ुरआन शरीफ़ ! पढ़िए ध्रुव गुप्त का यह आर्टिकल-
देश-दुनिया पर उपस्थित कोरोना संकट के बीच कानूनों और चेतावनियों की अनदेखी कर दिल्ली में सैकड़ों विदेशियों के साथ तब्लीगी जमात द्वारा आयोजित बड़ा जलसा मुझे मूर्खता के सिवा कुछ नहीं लगा था। जैसा कि जलसे में शिरक़त करने वालों को भरोसा दिलाया गया था, अल्लाह द्वारा उनकी सुरक्षा में तैनात सात हजार फरिश्तों में से एक भी उन्हें बचाने नहीं आया।
देश भर में अबतक चार सौ से ज्यादा तब्लीगी कोरोना संक्रमित पाए जा चुके हैं और दर्जन भर लोगों की मौत हो चुकी है। अगले कुछ दिनों में यह संख्या बेतहाशा बढ़ने वाली है। इस सबके बावजूद जिस तरह उनमें से हज़ारों लोग अपनी पहचान छुपाते हुए अपने लोगों को संक्रमित करते फिर रहे हैं, मदद में आए स्वास्थ्यकर्मियों और पुलिसवालों पर पत्थर और गोलियां बरसा रहे हैं, उससे लगता हैं कि उनकी समस्या मूर्खता से भी कुछ ज्यादा गहरी है। उनकी धार्मिक शिक्षा ने उनके दिल और दिमाग छीनकर उन्हें आज्ञापालक रोबोट में तब्दील कर दिया हैं। मैं यह नहीं कहता कि हर तब्लीगी ऐसा है, लेकिन उनमें से हज़ारों लोग अब अपने परिवार और अपनी मुस्लिम क़ौम के लिए ही नहीं, देश के लिए खतरा बन चुके हैं।
इन हज़ारों जाहिलों पर सामान्य एफ.आई.आर का कोई असर नहीं होने वाला। इन लोगों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत लंबे अरसे के लिए जेलों में बंद कर दिया जाय। जेलों में इन्हें पढ़ने के लिए क़ुरआन शरीफ़ मुहैय्या कराया जाय। सनकी मौलानाओं से क़ुरआन और हदीस पर तक़रीरें सुनने की जगह क़ैद के दिनों में ये लोग खुद कुरआन पढ़े तो मेरा विश्वास है कि जेलों से वे बेहतर इंसान बनकर निकलेंगे।
-लेखक ध्रुव गुप्त, पूर्व आईपीएस हैं और वरिष्ठ साहित्यकार हैं |