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March 28, 2024
जम्मू-कश्मीर राष्ट्रीय

केंद्र और राज्य सरकार के प्रति पुलिस अफसरों में रोष

  • June 20, 2017
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केंद्र और राज्य सरकार के प्रति पुलिस अफसरों में रोष

कश्मीर में पुलिस अफसरों  ने सोशल मीडिया पर नाराजगी जताते हुए लिखा कि जब उनका कोई साथी आतंकी हमले में शहीद होता है तो राजनेता न तो उन्हें श्रद्धांजलि देने आते हैं और नही उनके समर्थन में खड़े होते हैं। इंस्पेक्टर जनरल अॉफ पुलिस (आईजीपी) के स्टाफ में तैनात एसपी रैंक के पुलिस अफसर ताहिर अशरफ ने ट्वीट कर लिखा, जिन लोगों को पुलिस प्रोटेक्शन या मदद मिली हुई है और अगर वे दुख के वक्त उनके साथ खड़े नहीं होते तो वह कपटी हैं और उनका ज़मीर  मर चुका है। अगले ट्वीट में अशरफ ने लिखा, ठीक है, लेकिन सरकार शहीदों के लिए क्या करने जा रही है। क्यों राज्य सरकार हर पीड़ित परिवार को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा नहीं देती। हम खुद के लिए लड़ रहे हैं या राज्य के लिए। उनका यह जवाब जम्मू-कश्मीर सरकार के उस ट्वीट को लेकर था, जिसमें कहा गया था कि पुलिसकर्मी आतंकी हमलों में शहीद हुए पुलिस कर्मियों के लिए एक दिन की तनख्वाह देंगे। कश्मीर में तैनात एक पुलिस अफसर ने लिखा, हम राजनेताओं के गंदे युद्ध से लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा, हम ही जमीन पर इन नेताओं के गलत फैसलों का खामियाजा भुगतते हैं। हम इन लोगों के लिए मुश्किल वक्त पर खड़े होते हैं। लेकिन हम बात हमारे लिए लड़ने की आती है, तो सब खत्म हो जाता है। पुलिस कर्मी इस बात से भी खफा हैं कि जब वह घाटी में आतंकी हमलों से निपट रहे होते हैं तो उन्हें राजनेताओं और मीडिया से सेना या पैरामिलिटरी जैसी इज्जत नहीं मिलती

श्रीनगर में तैनात एक पुलिस कर्मी ने कहा, अगर एक सैनिक शहीद होता है, तो हमारे राजनेता, यहां तक कि मुख्यमंत्री भी अंतिम विदाई में शरीक नहीं होते। नई दिल्ली से श्रीनगर तक हर कोई उन्हें श्रद्धांजलि देते है। न्यूज चैनलों के लिए वे शहीद होते हैं। लेकिन जब हमारा कोई शहीद होता है तो कहीं से कोई शब्द नहीं बोलता। हमारे राजनेता भी दूर-दूर रहते हैं। उनकी चिंता पर ध्यान देते हुए मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती सोमवार को शहीद पुलिस अफसर फिरोज अहमद के घर पहुंची थीं, जो शुक्रवार को दक्षिणी कश्मीर के अछाबल में आतंकी मुठभेड़ में अपने 5 साथियों सहित शहीद हो गए थे। रविवार को उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह उनके यहां गए थे।