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चर्चाओं में पत्रकार इकराम की पुस्तक ‘कौम का कोहिनूर’, इतिहास का बनेगी हिस्सा

  • September 29, 2018
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चर्चाओं में पत्रकार इकराम की पुस्तक ‘कौम का कोहिनूर’, इतिहास का बनेगी हिस्सा

अलीगढ़। शाहजमाल स्थित ऐतिहासिक ईदगाह पर लिखी गयी ‘कौम का कोहिनूर’ पुस्तक का विमोचन शुक्रवार को हुआ। पुस्तक इतनी सराही गयी कि विमोचन समारोह में ही 500 प्रतियां बिक गयीं। स्मार्ट विलेज फाउंडेशन ने भी 100 प्रतियां खरीदकर गंगा जमुनी जज्बातों को बढ़ावा दिया। वक्ताओं ने कहा कि ये पुस्तक निश्चित ही इतिहास का हिस्सा बनेगी।

विमोचन ऊपरकोट स्थित शम्स प्लाजा में हुआ। समारोह अध्यक्ष शहर मुफ़्ती मोहम्मद खालिद हमीद ने कहा पुस्तक के लेखक इकराम वारिस ने 1984 में बने ईदगाह की तारीखों को ढूंढा, तारीखों के साथ हर जज्बात को इन्होंने पुस्तक में समेटा है। मुख्य अतिथि एव साहित्यकार अरुण आदित्य ने अपने इतिहास और विरासत को संभालकर रखना हरेक की जिम्मेदारी है। जो अपनी विरासत संभालकर रखते हैं वही लोग आगे बढ़ते हैं। मुफ़्ती जाहिद ने लेखक को कोहिनूर की संज्ञा दी। शिक्षाविद डॉ रक्षपाल सिंह ने कहा कि कौम का कोहिनूर शीर्षक से ही महत्व स्पष्ट होता है। 28 चैप्टर में विभक्त ये पुस्तक इतिहास का हिस्सा बनेगी। ये किताब हरेक को पढ़नी चाहिए। सैयद माजिन अली जैदी ने कहा कि जो तारीखों को महफूज रखते हैं, तारीखें भी उन्हें महफूज रखती हैं। इकराम वारिस को भी तारीखें महफूज रखेंगी।

पूर्व विधायक विवेक बंसल ने कहा कि जो जोड़ने की बात करते हैं वही मजहबी इंसान हैं। ये पुस्तक भी लोगों को जोड़ने का काम करेगी। अमुवि संगीतकार जॉनी फास्टर ने अलीगढ़ और उक्त पुस्तक पर लिखी अपनी गजलों से दिल जीत लिया। शायरा रिहाना शाहीन ने कहा कि 29 वर्ष में उन्हें ईदगाह के स्वर्णिम इतिहास का कभी इल्म नहीं हुआ। इस पुस्तक ने ये एहसास कराया। साथ ही “ए अलीगढ़ मेरे, तू ही सैयद के ख्वाबों की ताबीर है” नज्म भी पढ़ी। पुस्तक के लेखक इकराम वारिस ने बताया कि ईदगाह के निर्माण में सिर्फ पैसा नहीं लगा, हर कौम के जज्बातों से मिलकर इसका स्वर्णिम इतिहास है। इसलिए इस पर पुस्तक लिखने की जरूरत महसूस हुई। समारोह के दौरान श्रोताओं ने पुस्तकें खरीदकर भी पढ़ीं।

स्मार्ट विलेज फाउंडेशन के प्रबन्धक विपिन चौधरी ने अपने कार्यकर्ताओं के लिए 100 पुस्तकें खरीदकर गंगा जमुनी जज्बातों को मजबूत किया। संचालन शिक्षाविद गुलजार अहमद ने किया। इस दौरान यासीन शम्स, आसिफ खान, शमशाद निसार, कैप्टन आसीन खान, प्रदीप के गुप्त, तस्लीम मुख्तार, ज्ञानेंद्र मिश्रा, नदीम खांडे, वसीम नईम, ताहिर अहमद, शफ़ीक़, जीसान अहमद, तौफीक अहमद, मुताहिर ज़ैदी, अजय शर्मा, मसूद अमीनी, असरार अहमद सहित तमाम बुद्धिजीवी मौजूद रहे।