वर्ल्ड पोलियो डे : पोलियो कर सकता है पलटवार, जानिए इसके लक्षण और इलाज
World Polio Day हरियाणा के फतेहपुर बिल्लौच से इसी वर्ष अगस्त में एक खबर आई, जिससे न केवल प्रदेश बल्कि दिल्ली स्थित केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय तक में हड़कंप मच गया। यहां तीन साल की एक बच्ची में पोलियो के लक्षण मिले। तब कहा गया कि पुष्टि होती है तो यह भारत के पोलियोमुक्त घोषित होने के बाद पहला केस हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कहा है कि भारत में इस बीमारी का वायरस फैलने की आशंका बनी हुई है। कुल मिलाकर लोगों को पोलियो के प्रति अलर्ट रहने की जरूरत है। पोलियो का वायरस पेट में होता है और किसी भी समय सक्रिय हो सकता है। इसी बारे में जागरुकता फैलाने के लिए हर वर्ष 24 अक्टूबर को पोलियो डे मनाया जाता है। myupchar.com से जुड़े एम्स के डॉक्टर अजय मोहन के अनुसार, ‘पोलियो या पोलियोमेलाइटिस एक गंभीर और संभावित घातक संक्रामक रोग है। इसकी जड़ में होता है पोलियो वायरस। यह वायरस एक मरीज से दूसरे मरीज में फैलता है और गंभीर मामलों में मस्तिष्क तथा रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचाता है।’ पोलियो के वायरस तीन प्रकार के होते हैं। टाइप 1, टाइप 2 और टाइप 3, तीनों तरह के पोलियो को खत्म करने के लिए वैक्सीन दी जाती है।
डॉ. अजय ने आगे बताया, ‘पोलियो वायरस मरीज के मल से बाहर निकलता है और फैलता है। यह दूषित पानी और दूषित भोजन में हो सकता है। यह संक्रामक है यानी एक मरीज से दूसरे मरीज में हमला कर सकता है।’ यह छींकने-खांसने के साथ ही मखियों के माध्यम से फैलता है। पोलियो वायरस के अटैक से बच्चे लकवाग्रस्त हो जाते हैं। इसकी शुरुआत सर्दी-जुकाम से होती है। 7 से 24 माह आयु वाले बच्चे इसका सबसे ज्यादा शिकार होते हैं। यह खतरा 5 साल की उम्र तक बना रहता है। लड़कियों के मुकाबले लड़कों पर ज्यादा असर देखा गया है। जहां साफ-सफाई नहीं होती। बच्चे खुले में शौच करते हैं, वहां खतरा अधिक रहता है।
पोलि. यो के लक्षण
- गर्दन और पीठ में ऐंठन
- खाने या निगलने में परेशानी, गले में खराश
- लगातार सर्दी-जुकाम, बुखार
- सिरदर्द
- उल्टी
- थकान
- बाहों या पैरों में दर्द या ऐंठन
- मांसपेशियों में कमजोरी
डॉ. अजय के अनुसार, ‘पोलियो की जांच के लिए कफ, मल के साथ ही मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में पाए जाने वाले तरल पदार्थ की जांच की जाती है। इसके अलावा डॉक्टर मरीज की शारीरिक जांच भी करते हैं। उनके मुताबिक, ‘पोलियो का कोई इलाज नहीं है। इसमें दिए जाने वाले उपचार का उद्देश्य मरीज को आराम देना, तेज रिकवरी करना और जटिलताओं को रोकना है। डॉक्टर दर्द निवारक दवाओं के साथ ही विभिन्न समस्याओं जैसे सांस में तकलीफ़, ऐंठन आदि के लिए अलग-अलग उपचार देते हैं।
यह था भारत का आखिरी पोलियो केस
भारत में पोलियो के खिलाफ अभियान की शुरुआत 1995 में हुई थी। 80 के दशक में हर साल करीब 50 हजार से 1 लाख मरीज सामने आ रहे थे और इस अभियान की सफलता के बाद 2012 में यह आंकड़ा घटकर शून्य हो गया। देश में वाइल्ड पोलियो वायरस का आखिरी केस 2011 में रिपोर्ट हुआ था। यह 18 माह की रुखसर खातून थी, जिसका जन्म पश्चिम बंगाल के हावड़ा में हुआ था।
वैसे पोलियो के खिलाफ इस जंग की शुरुआत विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने की थी। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, 80 के दशक में दुनिया के 125 देशों में पोलियो के कारण हर साल 3.50 लाख मरीज लकवाग्रस्त हो रहे थे, 2017 में यह आंकड़ा घटकर महज 22 रह गया। पाकिस्तान जैसे कुछ देशों में अब भी पोलियो के मामले आ रहे हैं।
भारत में संभवतः पोलियो वार्ड वाला एक मात्र अस्पताल दिल्ली का सेंट स्टीफन हॉस्पिटल है। 134 साल पुराने इस अस्पताल की चौथी मंजिल के वार्ड 4012 औऱ 4013 मेें पोलियो ग्रस्त महिलाओं और पुरुषों का इलाज हो रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पोलियो को पूरी तरह खत्म करने के लिए अब भी बड़े कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। स्वच्छता के साथ ही पोषक तत्वों की गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा। पोलियो वैक्सिन से कोई बच्चा अछूता नहीं रहना चाहिए।