बेबाक, निष्पक्ष, निर्भीक
April 16, 2024
उत्तर प्रदेश ब्रेकिंग न्यूज़ राष्ट्रीय

विकास दुबे के ‘भूत’ से लोगों में दहशत, दिखाई देती है उसकी आत्मा

  • September 15, 2020
  • 1 min read
विकास दुबे के ‘भूत’ से लोगों में दहशत, दिखाई देती है उसकी आत्मा

कानपुर | कुख्यात अपराधी विकास दुबे को मरे दो महीने सेे ज्यादा हो गए हैं पर उसके गांव से खौफ, भय और दहशत नहीं गई। पहले लोग विकास के खौफ से कांपते थे और अब उसकी रूह (आत्मा) से सहमे हैं। अंधविश्वास में भयभीत ग्रामीण दिन ढलने के बाद विकास के मोहल्ले की ओर नहीं जाते। गांव के लोग कहते हैं कि अपराधियों में किसी का क्रियाकर्म नहीं हुआ। उनकी आत्माएं भटकती हैं। पत्ता भी खनकता है तो शरीर सिहर उठता है। कई लोगों ने तो कहा कि उन्होंने विकास का भूत भी देखा है।

10 जुलाई को बिकरू का विकास पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। उसके अंत के बाद से बिकरू में सन्नाटा ही रहा। जमींदोज कोठी में जंगली जीव, पक्षियों का प्रवास है। गांव के बड़े-बुजुर्गों को दूसरे तरह की दहशत सता रही है। विकास के खिलाफ अब भी खुलकर कोई कुछ बोलता नहीं। कुछ बुजुर्ग जरूर कहते हैं कि गांव में कई अकाल मौतें हुई हैं। किसी का कर्मकांड नहीं हुआ। सबकी आत्माएं भटक रही होंगी। कर्मकांड तो होना ही चाहिए। क्रिया कर्म नहीं होगा तो उनकी आत्माएं तो भटकेंगी ही।

खंडहर में पत्ता भी खनकता तो कांप जाते-
आलम यह है कि शाम 7 बजे के बाद विकास के मोहल्ले की ओर कोई नहीं जाता। कुत्ते, बिल्ली की धमाचौकड़ी होती है तो लोग किसी अनजान साए से भयभीत हो जाते हैं। विकास की खंडहर कोठी में पत्ता भी हिलता है तो लोगों की रूह कांप उठती है। ऐसा गांव के लोग कहते हैं। विकास के घर के सामने ही 8 पुलिसकर्मियों की हत्या की गई थी। उसके घर के आसपास रहने वाले ही मुठभेड़ में मारे गए। इस नाते दिन ढलने के बाद कोई नहीं जाता। वैसे भी मारे गए लोगों के परिवारों के लोग भी घरों से नहीं निकलते।

ड्यूटी पर मौजूद पुलिसवालों को नहीं दिखा भूत-
हालांकि, विकास के टूटे मकान पर चार पुलिसवालों- दो पुरुष, दो महिलाओ की ड्यूटी लगी है। लेकिन ऑन रिकॉर्ड इनमें से किसी ने नहीं कहा कि उन्‍होंने विकास के भूत को ‘देखा’ है। उनमें से एक कहता है, ‘हमें यहां अपनी ड्यूटी करने में कोई समस्‍या नहीं है।’ इससे ज्‍यादा वह कुछ भी कहने से मना कर देता है।

चार की तो कोई अस्थियां भी लेने नहीं गया-
दो जुलाई को बिकरू में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गई थी। पुलिस के मुताबिक हत्या में विकास और उसका पूरा गिरोह शामिल रहा। पुलिसकर्मियों की शहादत के बाद कार्रवाई शुरू हुई। तीन जुलाई को प्रेम प्रकाश और अतुल दुबे पड़ोस के काशी नेवादा गांव में पुलिस से मुठभेड़ के दौरान मारे गए। अगले दिन पुलिस ने विकास की कोठी जमींदोज कर दी। अपराधियों के पीछे लगी पुलिस से मुठभेड़ में प्रभात पनकी में, प्रवीण दुबे उर्फ बऊवा इटावा में, अमर हमीरपुर में मारा गया। दस जुलाई को सचेंडी में गिरोह का सरगना विकास दुबे ढेर कर दिया गया। विकास की पत्नी और प्रभात की मां ही अस्थियां लेने श्मशान गई थीं। बाकी के लावारिस में ही अंतिम संस्कार हुए हैं। उनके घर वालों ने पुलिस या किसी अन्य से संपर्क तक नहीं किया।

नवरात्र में पूजा कराई जा सकती है
गांव वालों ने एक स्‍थानीय पुजारी से कहा था कि वह पितृ पक्ष के दौरान इन परेशान आत्‍माओं की शांति के लिए पूजा करे। लेकिन पुजारी यह कहते हुए पीछे हट गया कि ऐसा करने से वह बेवजह पुलिस की नजर में आ जाएगा। एक गांववाले का कहना है कि, ‘हम लोग नवरात्र में यहां पूजा कराने की कोशिश करेंगे ताकि पुलिसवालों समेत यहां मारे गए लोगों की आत्‍माओं को शांति मिल सके।’