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राजनीति राष्ट्रीय

‘नसबंदी’ ने इंदिरा गांधी को हरवाया, ‘नोटबंदी’ मोदी और बीजेपी को हरवाएगी

  • August 31, 2017
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‘नसबंदी’ ने इंदिरा गांधी को हरवाया, ‘नोटबंदी’ मोदी और बीजेपी को हरवाएगी

तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ’ ब्रायन ने नोटबंदी को फ्लॉप शो करार दिया है। उन्‍होंने इसकी तुलना इंदिरा गांधी के ‘नसबंदी कार्यक्रम’ से कर डाली और कहा कि भारतीय जनता पार्टी 2019 का आम चुनाव नोटबंदी के फैसले के चलते उसी तरह हारेगी जैसे 1977 में इंदिरा नसबंदी के चलते हारी थी। एएनआई से बातचीत में उन्‍होंने कहा कि पूरी टीएमसी यही कह रही थी कि नोटबंदी फेल हुई है। ब्रायन ने बीजेपी पर चुनाव जीतने के लिए लोगों को बेवकूफ बनाने का भी आरोप लगाया। उन्‍होंन कहा कि नोटबंदी ने देश और इसके लोगों को बहुत परेशान किया है और इसकी कीमत बीजेपी को अगले चुनाव में चुकानी पड़ेगी।

गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में लागू की गई नोटबंदी का बेहद कम प्रभाव पड़ने का खुलासा करते हुए आरबीआई ने बुधवार को कहा कि उस दौरान देश में प्रचलन में रहे 15.44 लाख करोड़ रुपये के प्रतिबंधित नोट में से 15.28 लाख करोड़ रुपये लोगों द्वारा नए नोट से बदलने के कारण प्रणाली में वापस लौट चुके हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी सालाना रपट में कहा गया है, “सत्यापन प्रक्रिया के आधार पर भविष्य के सुधार के अधीन 30 जून, 2017 तक प्राप्त एसबीएन का अनुमानित मूल्य 1,528 अरब रुपये था।”

आरबीआई के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष में प्रतिबंधित 1,000 रुपये के कुल 8.9 करोड़ नोट, जिसका मूल्य 8,900 करोड़ रुपये है, वह प्रणाली में वापस नहीं लौटा, जबकि उस समय प्रचलन में 1,000 रुपये के कुल 670 करोड़ नोट थे। प्रतिबंधित 1,000 रुपये के जो नोट वापस नहीं लौटे हैं, वे साल 2016 के आठ नवंबर से पहले प्रचलन में रहे कुल नोटों का महज 1.3 फीसदी हैं। नोटबंदी की घोषणा के दिन प्रचलन में कुल 17.97 लाख करोड़ नोट थे, जिसमें से 86 फीसदी या 15.44 लाख करोड़ नोट 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट की शक्ल में थे, जिन्हें अवैध घोषित कर दिया गया।

केंद्रीय बैंक ने हालांकि प्रतिबंधित 500 रुपये के कितने नोट वापस लौटे, इसका अलग से आंकड़ा नहीं दिया है। नकली भारतीय मुद्रा (एफआईसीए) रपट में आरबीआई ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में कुल 7,62,072 नकली नोट पकड़े गए हैं, जबकि वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान कुल 6,32,926 नकली नोट जब्त किए गए थे। आरबीआई ने कहा कि प्रचलन में जारी नोटों की संख्या में नोटबंदी के असर से इस साल 20.2 फीसदी की गिरावट आई है, जो 13.1 लाख करोड़ रुपये है।
वहीं, बैंकनोट की संख्या में हालांकि 11.1 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है, क्योंकि छोटे नोट ज्यादा छापे जा रहे हैं और चलन में हैं। बयान में कहा गया है कि 2017 के मार्च तक 2,000 रुपये के नोट प्रचलन में जारी कुल नोट का 50.2 फीसदी थे। वित्त वर्ष 2016-17 में नए नोट छापने पर आरबीआई ने कुल 7,965 करोड़ रुपये खर्च किए