कमलनाथ पर है मध्यप्रदेश में कांग्रेस की वापसी का जिम्मा, उनकी ये हैं विशेषताएं-
भोपाल । कांग्रेस के कद्दावर नेता कमलनाथ पर मध्यप्रदेश में कांग्रेस की वापसी का दारोमदार है। कमलनाथ खुद लंबे समय से छिंदवाड़ा से सांसद हैं, लेकिन उनकी पार्टी बीते 15 सालों से सत्ता से बाहर है। कांग्रेस ने इस बार कमलनाथ को उनके अनुभव, क्षेत्र में पकड़ और संगठन में पैठ को देखते हुए प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया है और पार्टी की सत्ता में वापसी कराने की जिम्मेदारी सौंपी है।
कमलनाथ की विशेषताएं-
साफ-सुथरी छवि वाले नेता :
अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत से ही कमलनाथ विवादों से दूर रहे हैं और उनकी छवि एक साफ-सुथरे नेता की है। छिंदवाड़ा में कमलनाथ ने रोजगार बढ़ाने के लिए काफी काम किए हैं। मूल रूप से छिंदवाड़ा एक आदिवासी इलाका माना जाता है और आदिवासियों के उत्थान के लिए उनके योगदान के कारण उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ी है।
कार्यकर्ताओं के लिए 24 घंटे उपलब्ध :
कमलनाथ का दिल्ली या एमपी का कार्यालय 24 घंटे कार्यकर्ताओं के लिए खुला रहता है। वह चुनाव अभियानों के लिए हेलीकॉप्टर और सैटेलाइट फोन इस्तेमाल करने वाले शुरुआती नेताओं में से एक हैं।
चुनाव प्रबंधन :
मध्यप्रदेश में कमलनाथ चुनाव प्रबंधन पर लगातार काम कर रहे हैं। इससे वह बिखरी हुई प्रदेश कांग्रेस को एक सूत्र में पिरो चुके हैं। साथ ही विभिन्न गुटों के बीच वे पूरी तरह से तालमेल बिठा रहे हैं।
कमजोरी :
गुटबाजी : 15 सालों से सत्ता से बाहर होने के चलते पार्टी में गुटबाजी की भी समस्या है, जिसे कमलनाथ को दूर करना होगा। संगठन में भी मजबूती लाने के साथ ही सभी को साथ लेकर चलना होगा।
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हवाला कांड में नाम :
कमलनाथ हवाला कांड में नाम आने की वजह से 1996 में आम चुनाव नहीं लड़ पाए थे। यह मुद्दा भी भाजपा उठा सकती है। साथ उनका नाम साल 1984 के पंजाबी दंगों में भी उछला था, लेकिन कोई भी आरोप सिद्ध नहीं हो पाया।
बिखराव रोकना होगा :
कमलनाथ के लिए मध्य प्रदेश में टिकट बंटवारे के बाद बिखराव को रोकना बड़ी चुनौती होगी। क्योंकि जिन नेताओं के टिकट कट रहे वे तुरंत बगावत पर उतर रहे हैं। ऐसे में सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को एकजुट रखना होगा।