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मायावती और अखिलेश सरकार में हुआ था घोटाला, कैग की रिपोर्ट से हड़कंप

  • July 20, 2019
  • 1 min read
मायावती और अखिलेश सरकार में हुआ था घोटाला, कैग की रिपोर्ट से हड़कंप

लखनऊ | मायावती और अखिलेश सरकार के कार्यकाल में हुए घोटालों पर अब कैग की रिपोर्ट ने खलबली मचा दी है | भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक (कैग) की यूपी विधानसभा में पेश की गई ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पूर्व की मायावती और अखिलेश यादव की सरकारों की शराब नीति के कारण दस साल में प्रदेश को लगभग 24 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

https://www.youtube.com/watch?v=4C5dLFK5ZUk

रिपोर्ट के मुताबिक,मायावती के शासनकाल में शुरू हुआ शराब घोटाला सपा सरकार में भी चलता रहा। शराब कंपनियों, शराब बनाने वाली डिस्टलरियों, बीयर बनाने वाली ब्रेवरी और सरकार की मिलीभगत से प्रदेश के खजाने को हजारों करोड़ रुपये का चूना लगा। वर्ष 2008 से 2018 के बीच एक्स डिस्टलरी प्राइस व एक्स ब्रेवरी प्राइस का निर्धारण शराब बनाने वाली डिस्टलरियों और बीयर बनाने वाली ब्रेवरियों के विवेक पर छोड़ दिया गया। इससे ही 7,168 करोड़ रुपये का सरकारी खजाने को चूना लगा। इसके अलावा देशी शराब में न्यूनतम गारंटी कोटा बढ़ा देते तो तीन हजार करोड़ के राजस्व नुकसान से बचा जा सकता था। सीएजी रिपोर्ट में इसकी सतर्कता से जांच कराने की संस्तुति की गई है। कहा गया है कि दोषियों की जिम्मेदारी तय की जाए।

https://www.youtube.com/watch?v=yor062CRPVk

भारत में निर्मित अंग्रेजी शराब और बीयर के लिए न्यूनतम गारंटी कोटा (एमजीक्यू) तय न किये जाने के कारण सरकारों को 13,246 करोड़ रुपये के राजस्व का घाटा हुआ। सीएजी ने माना है कि इसमें सरकारी अधिकारियों का भ्रष्टाचार मुख्य वजह रही। रिपोर्ट में मायावती के शासनकाल में 2009 में शराब बिक्री लिए बनाए गए विशिष्ट जोन को भी गलत करार दिया गया है। यह विशिष्ट जोन उस वक्त मायावती के करीबी माने जाने वाली शराब कारोबारी पोंटी चड्ढा के समूह को फायदा पहुंचाने के लिए बनाया।

पोंटी चड्ढा की कंपनी के नाम-
रिपोर्ट के अनुसार मेसर्स वेव डिस्टलरी एवं ब्रेवरीज लि.अलीगढ़ द्वारा वर्ष 2013-14 की अवधि में भारत में निर्मित अंग्रेजी शराब के तीन ब्राण्ड की 180 एम.एल. की बोतलों के अधिकतम थोक मूल्य की गलत गणना की गयी और आबकारी विभाग द्वारा भी इस त्रुटि का पता नहीं लगाया जा सका या जानबूझ कर नहीं लगाया गया।

https://www.youtube.com/watch?v=buUFRN1bAhU

क्या था घोटाला-
वर्ष 2008 से 2018 की आबकारी नीति के जरिये एक्स डिस्टलरी प्राइस / एक्स ब्रेवरी प्राइस का निर्धारण डिस्टलरियों और ब्रेवरियों के विवेक पर छोड़ दिया गया यानि शराब बनाने वाली डिस्टलरी और बीयर बनाने वाली ब्रेवरी हर बोतल पर आने वाले लागत मूल्य के साथ अपना लाभांश जोड़कर कुल अधिकतम खुदरा मूल्य तय करने के लिए आजाद छोड़ दिए गए।

विजिलेंस जांच की सिफारिश
सीएजी ने रिपोर्ट में एक्स डिस्टलरी प्राइस और एक्स ब्रेवरी प्राइस में बढ़ोतरी के कारण डिस्टलरियों को 7168.63 करोड़ रुपये के अनुचित लाभ पहुंचाए जाने के मामले में सरकार द्वारा सतर्कता जांच करने की सिफारिश भी की है।