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उत्तराखंड: ‘जीवनदान’ देने वाले पर्वत के रहस्य को जानने में लगे विदेशी वैज्ञानिक

  • August 29, 2017
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उत्तराखंड: ‘जीवनदान’ देने वाले पर्वत के रहस्य को जानने में लगे विदेशी वैज्ञानिक

भारत में ऐसी कई जगह हैं जो चमत्कारों से भरी पड़ी हैं। इनमें से एक ये पर्वत भी है जो जीवन दान का वरदान देता है। इस पर्वत के रहस्य से पर्दा उठाने के ‌लिए विदेशी वैज्ञानिक भी बेचैन हैं।  देवभूमि में मौजूद इस पर्वत में ऐसी जड़ी-बूटी मिलती है ‌जो मरे इंसान को जिंदा कर सकती है। जिसे खोजने के ‌लिए ब्रिटेन, जर्मनी, इटली के वैज्ञानिक बैचेन हैं।

उत्तराखंड के चमोली जनपद स्थित एक गांव है द्रोणगिरि। यहां पर स्थित पर्वत के बारे में मान्यता है कि यह वही पर्वत है जिसे हनुमान जी संजीवनी बूटी के लिए उखाड़ ले गए थे।  जिस संजीवनी बूटी के मिलने का दुनिया भर के चिकित्सा विज्ञानी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उसकी खोज बजट के फेर में लटक गई है। संजीवनी की खोज के लिए केंद्र सरकार से 10 करोड़ रुपये बजट की मांग भी की गई थी। वहीं ब्रिटेन, जर्मनी, इटली आदि देशों की एजेंसियां हिमालयी जड़ी-बूटियों की खोज और इनकी ताजा स्थिति जानने के लिए रात-दिन एक हुए हैं।

रामायण की कथा के अनुसार लक्ष्मण-मेघनाद युद्ध में मेघनाद के वार से लक्ष्मण मूर्छित होकर युद्धस्थल में गिर गए थे। जिसके बाद सुषेन वैद्य को बुलाया गया। सुषेन वैद्य ने लक्ष्मण की मूर्छा ठीक करने के लिए संजीवनी बूटी लाने को कहा। उन्होंने ही बताया कि यह बूटी द्रोणगिरि पर्वत पर पाई जाती है।  साथ ही यह शर्त भी थी कि लक्ष्मण की मूर्छा ठीक करने के लिए बूटी का प्रातःकाल से पहले पहुंचना जरूरी था। चूंकि वहां पर सबसे तेज हनुमान जी ही थे इसलिए संजीवनी बूटी लाने के लिए उन्हें भेजा गया।  संजीवनी बूटी लाने के लिए हनुमान जी द्रोणगिरि पर्वत पर पहुंच तो वह बूटी पहचान ही नहीं पा रहे थे। उधर रात बीत रही थी और सुबह तक बूटी का पहुंचना जरूरी था। अंत में हनुमान जी ने द्रोणगिरि पर्वत ही ले जाने की सोच ली। इसके बाद हनुमान जी ने पूरा द्रोणगिरि पर्वत ही उखाड़ लिया और लेकर लंका के लिए उड़ गए।