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गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर बोले राष्ट्रपति, ‘लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक महत्वपूर्ण’

  • January 25, 2018
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गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर बोले राष्ट्रपति, ‘लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक महत्वपूर्ण’

नई दिल्ली | राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए गरीबी के अभिशाप को जल्दी से जल्दी मिटाने, समाज में भेदभाव दूर करने और संपन्न लोगों से वंचितों के हक में सब्सिडी जैसी सुविधाओं को त्यागने का आह्वान किया है। राष्ट्रपति ने 69वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर आज राष्ट्र के नाम सम्बोधन में इसके साथ ही सभी नागरिकों के बीच बराबरी, समाज में भाईचारे को मजबूत करने तथा विभिन्न संस्थाओं को सिद्धांतों तथा मूल्यों के आधार पर चलाने पर जोर दिया। उन्होंने सभी के लिए उत्तम शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं, लड़कियों को हर क्षेत्र में समान अवसर उपलब्ध कराने तथा अंधविश्वास एवं असमानता को दूर करने के लिए हरसंभव उपायों की जरूरत बताई।

कोविंद ने देश की आजादी और गणतंत्र के निर्माण में लाखों स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान का स्मरण करते हुए कहा कि देश को संवारने और समाज की विसंगतियों को दूर करने के लिए जिस तरह से उस समय प्रयास किये गये थे, आज फिर वैसे ही प्रयासों की जरूरत है। उन्होंने कहा, “एक राष्ट्र के रूप में हमने बहुत कुछ हासिल किया है, परंतु अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। हमारे लोकतंत्र का निर्माण करने वाली पीढ़ी ने जिस भावना के साथ काम किया था, आज फिर उसी भावना के साथ काम करने की जरूरत है।”

कोविंद ने कहा कि गरीबी को समाप्त करने, सभी के लिए उत्तम शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने तथा बेटियों को हर क्षेत्र में समान अवसर दिलाने के लिए सरकार वचनबद्ध है। उन्होंने कहा, “हमें एक ऐसे आधुनिक भारत की रचना करनी है, जो प्रतिभावान लोगों का और उनकी प्रतिभा के उपयोग के लिए असीम अवसरों वाला देश हो।” सम्पन्न लोगों से सब्सिडी जैसी सुविधाएं छोडऩे का आह्वान करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसी सुविधाओं का लाभ जरूरतमंद परिवारों को दिया जाना चाहिए। उन्होंने आबादी के वंचित हिस्से का जिक्र करते हुए कहा, “हम अपने ही जैसी पृष्ठभूमि से आने वाले उन वंचित देशवासियों की ओर देखें, जो आज भी वहीं के वहीं खड़े हैं, जहां से कभी हम सबने अपनी यात्रा शुरू की थी। हम सभी अपने-अपने मन में झांकें और खुद से यह सवाल करें कि ‘क्या उसकी जरूरत, मेरी जरूरत से ज्यादा बड़ी है?”