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हिन्दू और मुस्लिम के बीच अयोध्या में शत्रुता नहीं : महंत सत्येंद्र दास

  • October 23, 2017
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हिन्दू और मुस्लिम के बीच अयोध्या में शत्रुता नहीं : महंत सत्येंद्र दास

अयोध्या: अयोध्या में स्थित अस्थायी राम मंदिर के महंत सत्येंद्र दास का कहना है कि बाबरी विवाद पर चल रही राजनीति ने संभावित सौहार्दपूर्ण समाधान को और जटिल बना दिया है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को लेकर हिंदू और मुस्लिम समुदायों में किसी तरह की कोई शत्रुता नहीं है. महंत ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि शीर्ष अदालत का फैसला विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण के पक्ष में होगा. दास ने एक साक्षात्कार में आईएएनएस से कहा कि अदालत का फैसला जल्द आने की संभावना है. सभी चीजें अपनी जगह पर हैं और हिंदू पक्ष की तरफ से पेश किए गए सभी सबूत यह साबित करने के लिए पर्याप्त हैं कि राम मंदिर उसी जगह पर था, जिसे गिराकर बाबरी मस्जिद बनाई गई.

उन्होंने कहा कि दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष ने किसी भी तरह का कोई सबूत पेश नहीं किया है. उन्होंने कुछ दस्तावेजों को अंग्रेजी में अनुवाद कराने के लिए अदालत से दिसंबर तक का वक्त मांगा है. उम्मीद है कि फैसला अगले साल की शुरुआत में आ सकता है.

कोर्ट का फैसला स्वीकार्य नहीं होने पर साथ मिलकर निकालेंगे हल
दोनों समुदायों के लोगों के बीच अच्छे संबंधों का हवाला देते हुए महंत ने कहा कि अगर दोनों पक्षों को अदालत का फैसला स्वीकार्य नहीं होगा तो वे एक साथ बैठेंगे और समाधान खोजने का प्रयास करेंगे.

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उन्होंने कहा, “हम आपसी समझ और बातचीत के जरिए समाधान निकालेंगे, लेकिन उसमें किसी भी राजनीतिक पार्टी को हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं दी जाएगी, क्योंकि वह उसमें अपना राजनीतिक हित साधने की कोशिश करेंगे.”

महंत सत्येंद्र ने मंदिर के निर्माण को लेकर आंदोलन शुरू किए जाने के साथ मुस्लिमों के खिलाफ गलत भाषा का इस्तेमाल किए जाने और घृणा फैलाने के लिए विहिप की कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा, “विहिप ने उस भाषा का इस्तेमाल किया, जिसने मुसलमानों को दुखी, नाराज और परेशान किया.”

दास ने कहा, “स्थानीय हिंदुओं में मुस्लिमों के प्रति नफरत की ऐसी भावना नहीं थी. राजनेताओं ने नफरत फैलाने की कोशिश की. दोनों पक्षों के राजनेताओं ने एक-दूसरे के साथ दुर्व्यवहार किया. हालांकि आम लोगों ने नफरत को अपने अंदर नहीं आने दिया.”

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उन्होंने कहा, “मैं 26 साल तक मंदिर का पुजारी रहा हूं, बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान भी मैं यहीं था. सरकार के दबाव के बावजूद, मैंने किसी भी तरह की व्यक्तिगत सुरक्षा को स्वीकार नहीं किया. मुझे कभी मुसलमानों से डरा नहीं लगा. यहां के लोगों में मंदिर-मस्जिद को लेकर आपस में शत्रुता का भाव बिल्कुल नहीं है.”

उन्होंने कहा कि यदि वे आपस में लड़ते हैं, तो इसका पर्यटन और व्यवसाय पर नकारात्मक असर पड़ेगा. यह कहते हुए कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटने के आदेश में चूक हुई, उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट है कि भूमि का किसी तरह का बंटवारा नहीं होगा (सर्वोच्च न्यायालय द्वारा). जब किसी ने बांटने के लिए कहा ही नहीं, तब हाईकोर्ट के ऐसे फैसले का क्या मतलब.” दास ने कहा कि राम मंदिर के इस मुद्दे को अदालत ही सुलझाए, तो सबसे अच्छा रहेगा. यह अधिक उपयुक्त होगा.