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राजस्थान हाईकोर्ट ने हिंगोनिया गोशाला मामले में फैसला सुनाते हुए सरकार से कहा कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए

  • May 31, 2017
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राजस्थान हाईकोर्ट ने हिंगोनिया गोशाला मामले में फैसला सुनाते हुए सरकार से कहा कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने हिंगोनिया गोशाला मामले में फैसला सुनाते हुए सरकार से कहा कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए।खबरों के मुताबिक हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि गाय की हत्या करने वाले को उम्रकैद की सजा देनी चाहिए। बता दें कि 2016 में सरकार की ओर से चलाई जाने वाली हिंगोनिया गोशाला में सैकड़ों गायों की मौतों का मामला सामने आया था।  जज महेश चंद्र शर्मा ने कहा, “एंटी करप्शन ब्यूरो को हर तीन महीने में गोशाला पर रिपोर्ट तैयार करनी होगी। म्युिनसिपल कमिश्नर और दूसरे अधिकारियों को हर महीने गोशाला जाकर जांच करनी चाहिए। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट गोशाला में हर साल 5000 पौधे लगाए।” बता दें कि राजस्थान HC का फैसला ऐसे वक्त आया है, जब केंद्र ने मारने के मकसद से मवेशियों को खरीदने और बेचने पर बैन लगा दिया है। इस फैसले का केरल और कर्नाटक में विरोध हो रहा है। पिछले साल इस गोशाला में सैकड़ों गायों की मौतों की खबर के बाद राजस्थान सरकार ने इस मामले में रिपोर्ट मांगी थी और गोशाला के हालात सुधारने की बात कही थी। रिपोर्ट में सामने आया था कि गायों की मौत गोशाला के रखरखाव में खामियों की वजह से हुई है। राजस्थान के मंत्री राजेंद्र नाथ ने कहा, “सीएम ने रिपोर्ट मांगी है और हम एक एक्शन प्लान तैयार कर रहे हैं, ताकि हिंगोनिया में हालात सुधारे जा सकें।’ गायों की मौतों के मामले में जब अधिकारियों से सवाल उठे तो उन्होंने लापरवाही की बात नहीं मानी। अधिकारियों ने कहा कि जिन गायों की मौत हुई हैं, वो पहले से ही बीमार थीं और कुपोषण का शिकार थीं। बता दें कि हिंगोनिया गोशाला में 8000 से ज्यादा गायें हैं और 14 डॉक्टर, 24 असिस्टेंट और 200 अन्य स्टाफ उनकी देखभाल के लिए यहां मौजूद है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिंगोनिया गोशाला में 2011-12 में 3.59 करोड़ रुपए खर्च किए गए। वहीं, जिस साल गाय की मौतों का मामला हुआ यानी 2015-16 में ये बजट बढ़करर 10.78 करोड़ रुपए हो गया था। 2014-15 में गोशाला के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 7.59 करोड़ रुपए खर्च किए गए। बताते चलें कि मंगलवार को मारने के मकसद से मवेशियों की खरीद-बिक्री बैन करने वाले केंद्र के नोटिफिकेशन पर मद्रास हाईकोर्ट की मदुरई बेंच ने रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने 4 हफ्ते के भीतर राज्य और केंद्र सरकार से जवाब मांगा। हाईकोर्ट में दायर पिटिशन में कहा गया है कि किसे क्या खाना है, यह तय करना हर शख्स का अधिकार है और इसे कोई दूसरा आदमी तय नहीं कर सकता।