बेबाक, निष्पक्ष, निर्भीक
March 28, 2024
ब्लॉग विचार

आईए, पृथ्वी का क़र्ज़ उतारें ! पढ़िए स्वच्छता अभियान को आईना दिखाता ध्रुव गुप्त का यह आर्टिकल

  • July 20, 2017
  • 1 min read
आईए, पृथ्वी का क़र्ज़ उतारें ! पढ़िए स्वच्छता अभियान को आईना दिखाता ध्रुव गुप्त का यह आर्टिकल

पृथ्वी के पर्यावरण को बिगाड़ने में कारखानों से निकलने वाले धुओं और खतरनाक रसायनों से कम भूमिका प्लास्टिक या पोलीथिन कैरी बैग की नहीं है। एक पोलिथिन बैग तैयार करने के लिए सिर्फ चौदह सेकंड ही चाहिए, लेकिन इसे नष्ट होने में चौदह हज़ार साल तक लग सकते है। एक बार प्रयोग कर फेंके गए पोलिथिन बैग धूल और मिट्टी के साथ ज़मीन में दब जाते हैं जो हज़ारों सालों तक बारिश का पानी ज़मीन के भीतर नही जाने देते। ज़मीन का वह टुकड़ा धीरे-धीरे बंजर हो जाता है। शहरों और कस्बों में नालियों के जाम होने और बरसात का पानी जमा होने की भी यह बड़ी वजह है।

प्लास्टिक के इन थैलों को जलाकर नष्ट करना भी समस्या का हल नहीं है। इन्हें जलाने से निकलने वाले जहरीले डाइऑक्सिन और फुरान गैस कैंसर जैसे कई असाध्य रोगों की वज़ह बनते हैं। सोच कर देखिए कि हम रोज़ कितने प्लास्टिक के थैलों का इस्तेमाल करते है और अपने पर्यावरण और धरती को किस हद तक नुकसान पहुंचा रहे है। पर्यावरण को दूसरा बड़ा खतरा व्यवसायियों और राजनीतिक दलों द्वारा प्रचार के लिए सड़कों, गलियों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर लगाए जाने वाले फ्लेक्स बोर्डों से है। पॉलीविनील क्लोराइड से बने ये फ्लेक्स बैनर पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए जहर से कम नहीं। हवा और मिट्टी को दूषित करने के अलावा वे कैंसर और बांझपन जैसे रोग पैदा करते हैं। प्रचार के लिए हर साल देश में इस्तेमाल किए जा रहे करोड़ों टन प्लास्टिक होर्डिंग और फ्लेक्स बोर्ड हमारी पृथ्वी और पर्यावरण को किस हद तक नुकसान पहुंचा रहे हैं, इसकी कल्पना करके देखिए।

भारत सरकार ने जो ‘स्वच्छ भारत’ अभियान चला रखा है, वह एकांगी और आधी-अधूरी सोच पर आधारित है। कूड़ा-कचरे की सफाई तो ठीक है, लेकिन क्या सरकार को पता नहीं कि किसी कूड़े का बड़ा और सबसे जहरीला हिस्सा पोलिथिन बैग्स और फ्लेक्स बैनर्स का होता है ? ये ऐसे कचरे हैं जिन्हें नष्ट नहीं किया जा सकता। बगैर इनके उत्पादन, विक्रय और इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाए क्या क्या स्वच्छता की कल्पना भी संभव है ? कुछ राज्यों ने इनके इस्तेमाल को प्रतिबंधित ज़रूर किया है, लेकिन इनके निर्माण पर कोई रोक नहीं है। इससे उन सरकारों की नीयत का पता चलता है।

अपनी पृथ्वी को बचाने में सरकारो के अलावा कुछ भूमिका हम नागरिकों की भी है। हम बस इतना करें कि जब भी घर से बाहर निकले, अपनी कार, स्कूटर, बाइक, बैग, पर्स या जेब में जूट या कपडे का एक थैला रख लें। जब भी कोई सामान खरीदें, पॉलिथीन की थैली को ना कहें और उसे अपने थैले में डाल लें। विज्ञापन के लिए फ्लेक्स की जगह कपड़ों के बैनर्स का ही इस्तेमाल करें और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें |  अपने देश और धरती के असंख्य उपकारों के बदले इतना तो हम कर ही सकते हैं।

-ध्रुव गुप्त पूर्व आईपीएस के फेसबुक वाल से