वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली है। देश के 13वें उपराष्ट्रपति बने हैं। राष्ट्रपति भवन में हुए शपथ ग्रहण समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शपथ दिलाई। 5 अगस्त को हुए मतदान में नायडू ने विपक्षी उम्मीदवार गोपाल कृष्ण गांधी को हराकर जीत दर्ज की थी। वेंकैया नायडू को कुल 516 वोट मिले थे, वहीं गोपाल कृष्ण गांधी को 244 वोट मिले। चुनाव जीतने के बाद वेंकैया ने कहा था, “राज्यसभा के सभापति के रूप में मैं निर्भय और निष्पक्ष होकर सदन का कामकाज संचालित करने की ईमानदार कोशिश करूंगा। मैं सदन के कामकाज के नियमों और संकल्पों के अनुसार काम करूंगा और सभी सदस्यों के सहयोग से सदन की मर्यादा को बनाए रखूंगा।’
संसदीय राजनीति में अच्छा-खासा अनुभव रखने वाले वेंकैया नायडू को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह का भरोसेमंद माना जाता रहा है वेंकैया नायडू पार्टी के वरिष्ठतम नेता हैं और उन्होंने अपना सार्वजनिक जीवन 1970 से शुरू किया था। विद्यार्थी परिषद से शुरुआत कर वे राजनीति में उतरे। उन्होंने जेपी आंदोलन में सक्रियता से हिस्सा लिया। वे आंध्र प्रदेश भाजपा युवा इकाई के अध्यक्ष भी रहे। वेंकैया भाजपा महासचिव और दो बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। वे चार बार राज्यसभा के सदस्य रहे। उनका 25 वर्ष का कार्यकाल रहा है। उनके अनुभव की चर्चा करते हुए भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि एक किसान परिवार से आने वाले वेंकैया नायडू का संसदीय राजनीति का अच्छा खासा अनुभव है।