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दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- ‘वयस्क लड़की किसी के भी साथ रहने को स्वतंत्र’

  • November 26, 2020
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दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- ‘वयस्क लड़की किसी के भी साथ रहने को स्वतंत्र’

नई दिल्ली | दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा है कि वयस्क लड़की अपनी स्वेच्छा से कहीं भी और किसी के भी साथ रहने के लिए स्वतंत्र है। हाईकोर्ट ने 20 साल की लड़की द्वारा परिवार वालों की मर्जी के बगैर घर छोड़कार प्रेमी से शादी करने के मामले में यह टिप्पणी की है। कोर्ट ने इसके साथ ही लड़की के पिता को निर्देश दिया है कि वह अपनी बेटी और उसके पति को किसी भी तरह से डराने-धमकाने का काम नहीं करें और ना ही कानून को अपने हाथ में लेने का प्रयास करें।

जस्टिस विपिन सांघी और रजनीश भटनागर की बेंच ने लड़की के पिता की ओर से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया है। लड़की के पिता ने याचिका में दावा किया था कि उनकी बेटी लापता हो गई है और पुलिस को उसे ढूढंने का आदेश दिया जाए। मामले की सुनवाई के दौरान लड़की ने बेंच के समक्ष पेश होकर बताया कि वह 20 साल की है और अपनी मर्जी से घर छोड़कर गई है। लड़की ने बेंच को यह भी बताया कि उसने एक युवक से शादी कर ली है और अपना दाम्पत्य जीवन व्यतीत कर रही है। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि लड़की लापता नहीं हुई है बल्कि वह अपनी मर्जी से माता-पिता का घर छोड़कर गई है और शादी कर ली है। बेंच ने कहा है कि तथ्यों से साफ है कि लड़की वयस्क है। बेंच ने कहा कि ऐसे में वह अपनी स्वेच्छा से कहीं भी और किसी के भी साथ रहने के लिए स्वतंत्र है।

इसके साथ ही बेंच ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि अपनी सुरक्षा में लड़की को उस युवक के घर तक पहुंचाए जिसके साथ उसने शादी की है। बेंच ने लड़की के पिता की ओर से दाखिल याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि कोई भी वयस्क लड़की अपनी स्वेच्छा से कहीं भी और किसी के भी साथ रहने के लिए आजाद है। कोर्ट ने कहा है कि लड़की 20 साल की है और उसके परिवार वाले अपना कोई भी निर्णय थोपने के लिए उस पर किसी भी तरह से दवाब नहीं डाल सकते। याचिका में युवक पर अवैध तरीके से ही लड़की को रखने का आरोप लगाया था।

जरूरत पड़ने पर दंपति को तत्काल सुरक्षा दे पुलिस –
हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा है कि जहां पर लड़की अपने पति के साथ रहती है, वहां के एक पुलिस अधिकारी को मोबाइल नंबर उसके साथ साझा करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि लड़की कभी भी असुरक्षित महसूस करती है या किसी खतरे की अंदेशा हो तो पुलिस अधिकारी तत्काल राहत पहुंचाएं। लड़की से कहा कि वह पुलिस के संपर्क में रहे।