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March 29, 2024
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पश्चिम बंगाल में AIMIM के दांव से TMC बेचैन, ममता के धुरविरोधी अब्बास सिद्दीकी से मिले असदुद्दीन ओवैसी

  • January 4, 2021
  • 1 min read
पश्चिम बंगाल में AIMIM के दांव से TMC बेचैन, ममता के धुरविरोधी अब्बास सिद्दीकी से मिले असदुद्दीन ओवैसी

कोलकाता । बंगाल में सियासी हलचल तेज है । इस साल अप्रैल-मई के महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इस चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए- इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन ( #AIMIM) भी दाव आजमाने की तैयारी कर रही है। इसके चलते ओवैसी रविवार को ममता बनर्जी को राज्य की सत्ता तक पहुंचाने वाले सिंगूर और नंदीग्राम आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाली फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की शरण में जा पहुंचे।

रविवार को पश्चिम बंगाल दौरे पर पहुंचे ओवैसी ने हाल के महीनों में सत्तारूढ़ पार्टी के सबसे मुखर आलोचक के रूप में उभरने वाले अब्बासुद्दीन सिद्दीकी से हुगली में मुलाकात की। दो घंटे की बैठक के बाद, ओवैसी ने कहा कि बंगाल में हमारी पार्टी सिद्दीकी के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी। वही यह तय करेंगे कि एआईएमआईएम कैसे चुनाव लड़ेगी।

इस बारे में सिद्दीकी ने अभी इस बारे में अपनी योजना का खुलासा नहीं किया है। उन्होंने कहा कि अपने अगले कदम की जल्द घोषणा करेंगे। ओवैसी और सिद्दीकी की बैठक की खबर से मुस्लिम नेताओं और टीएमसी मंत्रियों के बीच प्रतिक्रिया शुरू हो गई। उन्होंने आरोप लगाया कि ओवैसी का एकमात्र उद्देश्य मुस्लिम वोटों को विभाजित करना और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मदद करना है। बता दें कि भाजपा ने 294 विधानसभा सीटों वाली विधानसभा चुनाव में अबकी बार 200 के पार का मंत्रा कार्यकर्ताओं को दिया है।

31 फीसदी मुस्लिम मतदाता –
पश्चिम बंगाल की सियासत में 31 फीसदी मतदाता मुस्लिम हैं। पीरजादा अब्बास सिद्दीकी जिस फुरफुरा शरीफ दरगाह से जुड़े हैं, उसे इस मुस्लिम वोट बैंक का एक गेमचेंजर माना जाता है। लंबे वक्त से सिद्दीकी ममता बनर्जी के करीबियों में से एक रहे हैं।बीते कुछ महीनों से उन्होंने ममता बनर्जी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है, ऐसे में ओवैसी से उनका मिलना अहम है।  सिद्दीकी ने ममता सरकार पर मुस्लिमों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। बंगाल की करीब 100 सीटों पर फुरफुरा शरीफ दरगाह का प्रभाव है। ऐसे में चुनाव से पहले दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की नाराजगी मोल लेना ममता के लिए सियासी रूप से फायदे का सौदा नहीं साबित होने वाला है।