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देहरादून: अनाथालय की छात्रा रहस्यमयी तरीके से हुई लापता !

  • August 22, 2017
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देहरादून: अनाथालय की छात्रा रहस्यमयी तरीके से हुई लापता !
देहरादून | वर्ष 1929 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने जिस अनाथालय का शिलान्यास किया था। यहां पहली बार एक एक छात्रा के गायब होने की बात सामने आई साथ ही छात्रा के कमरे से कुछ चौंकाने वाली बातें भी उजागर हुई |
शहर के तिलक रोड स्थित बाल वनिता अनाथालय में रहने वाले करीब 20-22 बालक और बालिकाएं पास के ही नारी शिल्प विद्यालय में पढ़ने जाती हैं। वार्डन की देख-रेख में यह बच्चे ग्रुप में आत-जाते हैं। सोमवार सुबह 7:30 बजे के करीब सभी बच्चे अनाथालय से स्कूल गए थे। छुट्टी के बाद अनाथालय में बच्चों की गिनती हुई तो कक्षा छह की छात्रा भारती आर्य (14) के लापता होने की बात पता चली।
इसके बाद आननफानन अनाथालय के सचिव ओपी नागलिया ने खुड़बुड़ा पुलिस चौकी पर छात्रा के गायब होने की जानकारी दी। शहर कोतवाल डीबीडी जुयाल ने बताया कि छात्रा का पता लगाने में टीम लगा दी गई है। देहरादून के अलावा आसपास के जनपदों में छात्रा का फोटो भेजा गया है। वहीं अनाथालय के सचिव ओपी नागालिया ने बताया कि पुलिस में गुमशुदगी दर्ज करा दी गई है। वह अपने स्तर से भी छात्रा की तलाश करा रहे हैं। तिलक रोड स्थित बाल वनिता अनाथालय से सोमवार को लापता हुई छात्रा भारती का कमरा देखकर लगता है कि वह पूरी तैयारी के साथ निकली है। भारती की किताबें बिस्तर पर मिली हैं और उसके कपड़े भी गायब हैं। ऐसे में भारती के तैयारी के साथ भागने की आशंकी जताई जा रही है। भारती को वर्ष 2010 में अनाथालय में दाखिल कराया गया था।
अनाथालय में हुई इस पहली घटना से पूरा स्टाफ परेशान है। अनाथालय के सचिव ओपी नागलिया ने बताया कि भारती रोज की तरह सुबह वार्डन एवं अन्य बच्चों के साथ नारी शिल्प स्कूल के लिए निकली थी, लेकिन वापस नहीं लौटी। इसके बाद उसका कमरा देखा गया तो किताबें बिखरी थीं और कपड़े गायब थे।
ओपी नागलिया ने बताया कि भारती को वर्ष 2010 में अनाथालय लाया गया था। उस समय भारती तपेदिक से पीड़ित थी। इलाज के बाद अब वह पूरी तरह स्वस्थ है। ओपी नागलिया के अनुसार भारती पढ़ाई में ठीक थी और सभी के कामों में मन से करती थी।
भारती को देख कभी नहीं लगा कि वह किसी तरह से परेशान है या आश्रम में नहीं रहना चाहती है। इस समय आश्रम में कुल 50 बच्चे हैं। इनमें 20 लड़के-20 लड़कियां और बाकी छोटे बच्चे हैं