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माघमेले में इलाहाबादी ‘सुरूखा’ बना कल्पवासियों की पहली पसंद

  • January 24, 2018
  • 1 min read
माघमेले में इलाहाबादी ‘सुरूखा’ बना कल्पवासियों की पहली पसंद

इलाहाबाद। तीर्थराज प्रयाग में गंगा,यमुना और पौराणिक सरस्वती के विस्तीर्ण रेती पर तम्बुओं का बसा अस्थायी आध्यात्मिक नगरी में कल्पवासियों का पहला पसंदीदा इलाहाबादी सुरूखा और सफेदा अमरूद बना है। बेमिसाल स्वाद और सेब की शक्लसूरत के कारण देश के कोने से आये कल्पवासियों और स्नानार्थियों को सुरूखा अमरूद खूब भा रहा है। कल्पवासियों और स्नानार्थियों के साथ ही विदेशियों को भी लुभा रहा है। इसके अलावा सफेदा, सेबिया, लखनऊ 49 और ललित प्रजाति के अमरूद का स्वाद संगम आने वालों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है। यह सवादिष्ट होने के साथ ही स्वास्थ्य के लिए औषधि का खजाना है। इसमें रोगों से लड़ने की क्षमता है।

नाम के अनुरूप लालिमा लिये सुरूखा और लजीज स्वाद के लिए सफेदा पहचाना जाता है। मिठास के मामले में यह सेब से बीस साबित होता है। पूरे शहर में अमरूद की बिक्री होती है लेकिन मेला क्षेत्र के नजदीक चुंगी पर पचासों ठेलों और दुकानों पर अमरूद सजे रहते हैं। एक तरफ सेब और दूसरी तरफ उसी रंग वाले अमरूद लोगों को आकर्षण के केन्द्र बने हैं।

माघ मेला होने के कारण अमरूद के दुकानदारों की अच्छी कमाई हो रही है। मेला से पहले 25 रूपये किलो बिकने वाला अमरूद दुगने भाव पर बाजार में बिक रहा है। कल्पवास करने वाले श्रद्धालु दिन में एक समय भोजन करते हैं। दिन में अमरूद ही उनकी पहली पसंद है।

पहली बार कल्पवास करने पहुंचे अरिओम पण्डा के शिविर में मध्य प्रदेश दामोह के रहने वाले प्रकाश चन्द्र अग्रवाल,पत्नी सुनीता, पंटून पुल नम्बर दो के पास गोपाल जी पण्डा के शिवर में नैनी के गंगोत्री नगर निवासी बद्री प्रसाद तिवारी, कौशाम्बी के सुरेश चन्द्र मिश्र त्रिवेणी मार्ग पर नागेश्वर आश्रम में कन्नौज के प्रभाष चन्द्र दूबे और शाहजहांपुर निवासी विश्वनाथ, शिवला मार्ग पर दुर्गा शिवर निवासी राम निहोरी और पत्नी कमरजिया सभी ने इलाहाबादी अमरूद का बखान किया। उन्होंने बताया कि इसका स्वाद बेहद लजीज बताया। अमरूद की महक और स्वाद की बानगी इलाहाबाद जंक्शन रेलवे स्टेशन पर उस समय देखने को मिलती है जब ट्रेन रूकते ही यात्रियों की भीड़ अमरूद के स्टालों पर टूट पडती है और हर कोई ज्यादा से ज्यादा अमरूद खरीदकर अपने साथ ले जाने को आतुर दिखता है।

आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि जिले के लगभग 840 हेक्टेयर क्षेत्रफल में अमरूद की खेती की जाती है। इसके अलावा पडोसी जिले कौशाम्बी के कौडि़हार, बहादुरपुर, सैदाबाद, फूलपुर, सोरांव, बहरिया, होलागढ़, करछना, मेजा, कोरांव आदि क्षेत्रों के किसान आधुनिक तरीके से अमरूद की खेती कर रहे हैं । मण्डलायुक्त डा आशीष गोयल ने गत सात जनवरी को यहां खुसरो बाग में अमरूद महोत्सव का उद्घाटन किया था। महोत्सव में सेब की तरह दिखने वाला सेबिया, सुरूखा, इलाहाबादी सफेदा को लोगों ने खूब सराहा। उन्हाेने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा देश-विदेश में इलाहाबादी अमरूदों की एक अलग पहचान है।

अगले साल कुंभ मेले में इलाहाबादी अमरूद के विभिन्न किस्मों के स्टाल लगाये जाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी। महोत्सव में चौक के रहने वाले कादिर ने अमरूद से निर्मित पेड़े, बर्फियां, लड्डू आदि मिठाइयों की दुकान लगायी थी। इलाहाबादी सुरूखा वेलफेयर एेसोसिएशन के अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह पटेल ने बताया कि इलाहाबाद और कौशांबी में सुरूखा, सेबिया और सफेदा की उपज होती है। इलाहाबादी सुरूखा और सफेदा की डिमांड पूरी दुनिया, खासकर खाड़ी के सउदी अरब, कुवैत, दुबई, यूएई, कतर, बहरीन, यमन, ओमान, जार्डन आदि देशों हैं। उन्होंने बताया कि खाड़ी देश को निर्यात करने के लिए बड़े व्यापारी माल को मुम्बई ले जाते हैं उसके बाद वहां से हवाई जहाज या पानी के जहाज से खाडी देश को भेजते हैं।

श्री पटेल ने बताया कि इलाहाबादी सेबिया अमरूद का कोई जोड़ नहीं है। सेब की शक्ल में छोटे और बेहद खूबसूरत दिखने वाले इन अमरूदों ने सबको क्रेजी बना रखा है। बहुत से लोग तो सेबिया को ही सेब समझ लेते हैं। खास बात यह है कि सेबिया नस्ल का अमरूद किसी दूसरे शहर में पैदा नहीं होता। उन्होंने बताया कि शहर में करीब 20 टन की रोज खपत होती है लेकिन मेला होने के कारण इसमें डेढ से दो गुना का फर्क आया है । उन्होंने बताया कि हरी सब्जियों की तरह अमरूद का पूरा कारोबार नकदी पर होता है। पारंपरिक आढ़ती नकदी देकर अमरूद खरीदते हैं। उन्होंने बताया कि पेड़ से अमरूद तोड़ने से लेकर मंडी तक पहुंचाने में हजारों लोगों को रोजगार मिला हुआ है।

चुंगी के पास सेबिया अमरुद बेचने वाले महेश कहते हैं कि पिछले साल तक एक दिन में तीन क्विंटल सेबिया बेच लेते थे। मेला होने से अभी अच्छा कारोबार चल रहा है। गौरतलब है कि अमरूद विटामिन (सी) का भण्डार है। इसमें संतरा और नींबू की तुलना में 4 से 10 गुना अधिक विटामिन (सी) पाया जाता है। इसके सेवन से विटामिन सी, बी व ए की कमी दूर होती है। सी रोग से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है। बी शरीर के लिए पौष्टिक एवं ए आंख की रोशनी और दांतों को मजबूत रखता है। यह हाई एनर्जी फ्रूट है जिसमें भरपूर मात्रा में विटामिन और मिनरल्‍स पाए जाते हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी होते हैं। इसमें पाया जाने वाला विटामिन बी-9 शरीर की कोशिकाओं और डीएनए को सुधारने का काम करता है जबकि इसमें मौजूद पोटैशियम और मैग्‍नीशियम दिल और मांसपेशियों को दुरुस्‍त रखकर उन्‍हें कई बीमारियों से बचाता है तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

इसमें मौजूद लाइकोपीन नामक फाइटो न्‍यूट्र‍िएंट्स शरीर को कैंसर और ट्यूमर के खतरे से बचाने में सहायक होते हैं और इसमें पाया जाने वाला विटामिन ए और ई आंखों, बालों और त्‍वचा को पोषण देता है। अमरूद में पाया जाने वाला बीटा कैरोटीन शरीर को त्‍वचा संबंधी बीमारियों से बचाता है तथा नियमित सेवन करने से कब्‍ज की समस्‍या में राहत मिलती है और यह मेटाबॉलिज्‍म को सही रखता है जिससे शरीर में कोलेस्‍ट्रॉल का स्‍तर नियंत्रित रहता है। इसके अलावा इसकी पत्तियां भी औषधि का काम करती है।

– एजेंसी