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राष्ट्रीय

अमेरिका की रिपोर्ट- आतंकी हमले ना रोक पाने में भारत तीसरा सबसे पीड़ित देश

  • July 23, 2017
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अमेरिका की रिपोर्ट- आतंकी हमले ना रोक पाने में भारत तीसरा सबसे पीड़ित देश

आतंक के साए में जी रहे देशों की लिस्ट अमेरिका द्वारा जारी की गई है। इसमें भारत पाकिस्तान से आगे निकल गया है। यानी 2016 में भारत में पाकिस्तान से ज्यादा आतंकी हमले हुए। लिस्ट में बताया है कि सबसे ज्यादा आतंकी हमले इराक में होते हैं। दूसरे नंबर पर अफगानिस्तान है। उसके बाद तीसरे नंबर पर भारत है। पहली तीसरे नंबर पर पाकिस्तान हुआ करता था। यूएस स्टेट डिपार्टमेंट के इस डाटा के अनुसार 2016 में दुनिया के अलग-अलग कोनों में 11,072 आतंकी हमले हुए। इसमें से 927 यानी कुल के 16 प्रतिशत को भारत ने झेला। यह आंकड़ा 2015 में 798 था। इन हमलों में मरने वालों की संख्या 17 प्रतिशत बढ़ गई। 2015 में यह 289 थी जो 2016 में 337 हो गई। 2015 में हुए हमलों में 500 घायल हुए वहीं 2016 में आंकड़ा 636 छू गया। इसके उलट पाकिस्तान में आतंकी हमलों की संख्या घट गई। 2015 में वहां 1,010 हमले हुए जो कि 2016 में 734 के मुकाबले कम थे। रिपोर्ट ने एक और झटका दिया। इसमें नक्सल को तीसरा सबसे खतरनाक आतंकी संगठन बताया है। जिसका नंबर आईएस और तालिबान के बाद आता है। नक्सल को बोको हरम से ज्यादा खतरनाक बताया गया है। सीपीआई (माओवादी) का 2016 में हुए 336 हमलों में नाम आया। जिसमें 174 लोगों की जान गई और 141 जख्मी हुए। 2016 का सबसे खतरनाक हमला बिहार में हुआ था। उसमें सीआरपीएफ के 16 जवान मारे गए थे। वह हमला नक्सलियों ने किया था।2016 में आधे से ज्यादा आतंकी हमले चार राज्यों में हुए। इसमें जम्मू कश्मीर, छत्तीसगढ़, मणिपुर और झारखंड शामिल हैं। सबसे ज्यादा खराब हालत जम्मू कश्मीर की है। पिछले साल ऐसे हमलों में 93 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई। हालांकि, गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में इसे 54 प्रतिशत बढ़ा हुआ दिखाया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, किडनैपिंग, बंदी बनाने के मामलों में 63 प्रतिशत की कमी आई है। 2015 में ऐसे 866 मामले सामने आए जो कि 2016 में घटकर 317 रह गए।रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में आतंकी साजिश को अंजाम देने की फिराक में एक दो नहीं बल्कि पूरे 52 ग्रुप बैठे रहते हैं। जो कि बाकि देशों के मुकाबले सबसे ज्यादा है। देशभर में आतंक फैलाने के पीछे 2016 में 334 संगठन की पहचान हुई है। यह संख्या 2015 में 288 थी।दुनिया के लिहाज से देखें तो यह रिपोर्ट थोड़ा सुकून जरूर देती है। लिखा गया है कि हमलों की संख्या में पिछले साल 9 प्रतिशत की गिरावट आई। साथ ही जान गंवाने वालों की संख्या भी पिछले साल 13 प्रतिशत कम रही। 2015 में 29,424 लोगों ने आतंकी हमलों में जान गंवाई थी जो कि 2016 में 25,621 पर आ गई है। इसकी मुख्य वजह अफगानिस्तान, सीरिया, नाइजीरिया, पाकिस्तान और यमन में कम लोगों की जान जाना भी है।