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बार काउंसिल का एलान, देश में जनवरी तक नहीं होंगे चुनाव, वकीलों के लिए बनाये जायेंगे कड़े नियम-

  • November 24, 2019
  • 1 min read
बार काउंसिल का एलान, देश में जनवरी तक नहीं होंगे चुनाव, वकीलों के लिए बनाये जायेंगे कड़े नियम-

नई दिल्ली | वकालत के पेशे का स्तर सुधारने के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने कई कड़े कदम उठाने का निर्णय लिया है। इसके तहत अब अदालतों में प्रैक्टिस कर रहे वकीलों को पांच साल तक नियमित प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा। इसी तरह से हाईकोर्ट में वकालत के लिए दो साल तक जिला अदालत में और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस के लिए दो साल तक हाईकोर्ट में वकालत का अनुभव लेना अनिवार्य होगा। कोई भी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन बिना अनुभव प्रमाणपत्र के वकील को सदस्यता नहीं देगा। इसी प्रकार से सुप्रीम कोर्ट में वकालत के लिए अनुभव प्रमाणपत्र संबंधित हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और हाईकोर्ट के महानिबंधक द्वारा जारी किया जाएगा। प्रमाणपत्र का फॉर्मेट बीसीआई तय करेगा।

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बीसीआई अधिवक्ता संघ भी गलत लोगों का प्रवेश रोकने के लिए कड़े उपाय पर विचार कर रहा है। नियमित वकालत नहीं करने वाले लोग बार एसोसिएशन या बार काउंसिल का चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। बीसीआई अध्यक्ष मनन कुमार मिश्र ने इस आशय की विज्ञप्ति जारी करते हुए इन सुधारों पर मार्च 2020 से अमल होने की उम्मीद जताई है। जनवरी 2020 में सभी बार काउंसिल के प्रतिनिधियों की बैठक में सुधारों पर अंतिम मुहर लगेगी।

जनवरी तक चुनावों पर रोक-
अधिवक्ता संघों में गैर पेशेवर वकीलों की बढ़ती घुसपैठ के मद्देनजर बीसीआई व्यापक चुनाव सुधार पर विचार कर रहा है। इसके तहत वकालत नहीं करने वाले और आपराधिक छवि वाले वकीलों को चुनाव लड़ने से रोका जाएगा। इस आशय का प्रस्ताव भी जनवरी 2020 की बैठक में पास होगा। बार काउंसिल ने सभी अधिवक्ता संघों को जनवरी तक चुनाव नहीं कराने का निर्देश दिया है।

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सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस के लिए भी हाईकोर्ट जैसा नियम-
बीसीआई द्वारा प्रस्तावित सुधारों के तहत हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में वकालत के लिए उससे नीचे की अदालत में कम से कम दो वर्ष की वकालत का अनुभव अनिवार्य होगा। इसके लिए अनुभव प्रमाणपत्र कम से कम 15 वर्ष की वकालत के अनुभव वाले अधिवक्ता द्वारा जारी किया जाएगा।

वकीलों के लिए प्रशिक्षण जरूरी-
बीसीआई ने पेशे की गुणवत्ता में सुधार के लिए दस वर्ष तक की प्रैक्टिस वाले वकीलों के लिए प्रशिक्षण अनिवार्य करने का निर्णय लिया है। प्रशिक्षण सिटिंग और रिटायर्ड जज, वरिष्ठ और अनुभवी अधिवक्ताओं द्वारा दिया जाएगा। प्रशिक्षण की व्यवस्था राज्यों के बार काउंसिल द्वारा की जाएगी। यह निशुल्क होगा और पांच वर्ष में न्यूनतम 40 दिन का प्रशिक्षण अनिवार्य होगा। इसमें भाग लेने वाले वकीलों को बीसीआई प्रमाणपत्र देगा जो उनको वकालत जारी रखने के लिए अनिवार्य होगा।

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जजों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने की करेंगे मांग-
बीसीआई सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की सेवानिवृत्ति आयु 70 और 67 वर्ष करने की सरकार से मांग करेगी। यदि ऐसा होता है तो काउंसिल यह भी सुनिश्चित करेगी कि जजों को रिटायरमेंट के बाद आयोग, अधिकरण, बोर्ड आदि में नियुक्त न किया जाए, बल्कि यह पद योग्य अधिवक्ताओं को दिए जाएं। सभी प्रस्ताव जनवरी 2020 में होने वाले बीसीआई के संयुक्त अधिवेशन में रखे जाएंगे। प्रस्ताव पारित होने के बाद मार्च 2020 से इसे लागू किए जाने की उम्मीद है।