जब मुलायम सिंह यादव एनकाउंटर से जान बचा कर साइकिल पर भागे इटावा से दिल्ली, चौ. चरण सिंह ने बचाई थी जान
यूपी के कानपूर में आठ पुलिस कर्मियों की हत्या के बाद कुख्यात विकास दुबे का एनकाउंटर चर्चाओं में हैं | देशभर में एनकाउंटर को सही और गलत ठहरने के तर्क अपनी अपनी जगह दिए जा रहे हैं |
कानपूर कांड के बाद देशभर में छिड़ी एनकाउंटर पर बहस के बीच अस्सी के दशक का एक घटनाक्रम सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है | जो सपा के संरक्षक पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को लेकर है |
बताया जाता है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने 1981-1982 में मुलायम सिंह यादव को इनकाउंटर में मारने का निर्देश दिया था। मुलायम सिंह यादव को इटावा पुलिस में अपने सूत्र से यह खबर मिली तो उन्होंने तत्काल इटावा छोड़ दिया और वह भी साइकिल से |
मुलायम सिंह यादव सीधे चौ चरण सिंह के घर पहुंचे औय जान बचाने की बात कही | तब चौधरी चरण सिंह ने मुलायम सिंह यादव को नेता विधानमंडल दल बना दिया | चौधरी चरण सिंह के इस निर्णय से मुलायम को सुरक्षा भी मिली और प्रोटोकॉल भी । इस तरह चौ चरण सिंह ने मुलायम सिंह की जान बचा ली ।
वहीँ, एनकाउंटर के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस मुलायम सिंह को रेलवे स्टेशन , बस स्टेशन और सड़कों पर खोजती रही लेकिन मुलायम सिंह यादव अपने चतुरता से दिल्ली पहुँच गए | बताया यह भी जाता है कि फिर मुलायम सिंह यादव जब मुख्यमंत्री बने तो वीपी से उनका छत्तीस का आंकड़ा रहा |
हालाँकि राजनैतिक विश्लेषक यह ही कहते हैं कि वीपी सिंह ने जब प्रधानमंत्री थे तब मुलायम सिंह जो कि यूपी के सीएम थे को कई फैसलों से रिझाने की कोशिश की लेकिन तल्खियां बरक़रार रहीं |