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BJP-कांग्रेस किसान और गरीब विरोधी, देश मे मुस्लिमो को मिले आरक्षण : मायावती BSP

  • January 16, 2019
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BJP-कांग्रेस किसान और गरीब विरोधी, देश मे मुस्लिमो को मिले आरक्षण : मायावती BSP

नई दिल्ली । बसपा अध्यक्ष मायावती ने अपने जन्मदिवस के मौके पर कहा कि भाजपा व कांग्रेस दोनों सरकारें किसान और गरीब विरोधी हैं। कांग्रेस ने देश में सबसे अधिक राज किया लेकिन इनकी गलत नीतियों के चलते बसपा बनानी पड़ी। उन्होंने किसानों के कर्ज माफी के मुद्दे पर भी कांग्रेस को घेरा। कहा कि तीन राज्यों में बनी कांग्रेस सरकार ने किसानों का दो लाख रुपये कर्ज माफ कर धोखा दिया है।

मायावती ने मंगलवार को अपने पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता में कहा कि हालिया विधानसभा चुनाव के नतीजों से भाजपा ही नहीं, कांग्रेस को भी सबक लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा, लोकलुभावन और झूठे वादे करके किसी भी पार्टी की दाल ज्यादा दिन तक गलने वाली नहीं है। तीन राज्यों में बनी कांग्रेस की सरकार की कर्जमाफी की योजना पर भी अब उंगलियां उठ रही हैं। उन्होंने सरकार बनने के बाद सिर्फ दो लाख रुपये वाला कर्ज़ ही माफ किया है।

किसानों का पूरा कर्ज माफ हो-
मायावती ने किसानों की वकालत करते हुए कहा कि सख्त नियमों व कानूनों से सरकारी व सहकारी बैंकों से किसान बहुत कम कर्ज लेते हैं। लगभग 70 फीसदी किसान अपने गांव के साहूकारों और धन्नासेठों से कर्ज लेते हैं। इनके सभी कर्ज माफ करने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों को ठोस नीति बनानी चाहिए।

https://youtu.be/QyoYjtnDKpA

भाजपा के पतन का समय आ गया-
मायावती ने कहा कि भाजपा – कांग्रेस धन्नासेठों के लिए काम करती है। बसपा का रिकार्ड इस मामले में काफी साफ है। नोटबंदी व जीएसटी से बहुत नुकसान हुआ है। भाजपा व आरएसएस ने धर्म के नाम पर राजनीति करना और भगवान को अपनी-अपनी जाति का बताने को गलत ठहराया है। भाजपा विरोधियों के खिलाफ सीबीआई का इस्तेमाल कर रही है। इसका ताजा उदाहरण खनन मामले में सपा मुखिया अखिलेश यादव का नाम उछाला जाना है। भाजपा सही काम करने की बजाय भ्रष्टाचार वाले काम कर रही है।

मुस्लिमों को मिले अलग से आरक्षण-
उन्होंने सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण के फैसले का स्वागत करने के साथ मुस्लिमों के लिए आर्थिक आधार पर अलग से आरक्षण देने की मांग की है। भाजपा अपने पक्ष में हवा बनाने के लिए नाटकबाजी कर रही है। मुसलमानों को सार्वजनिक स्थान पर नमाज पढ़ने से रोका जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश में आजादी के समय सरकारी नौकरियों में मुस्लिमों की संख्या 33 फीसदी थी जो कि अब 2-3 फीसदी ही रह गई है। इसीलिए बसपा आर्थिक आधार पर अलग से आरक्षण देने की बराबर मांग करती आ रही है।