सिपाही की जगह अफसर होता तो आज मेरा दोस्त जिन्दा होता !
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस के एक कांस्टेबल की मंगलवार शाम को बीमार पड़ने के बाद मौत हो गई थी जिसके बाद उनके नमूने की जांच रिपोर्ट में कोविड-19 संक्रमण की पुष्टि हुई है। यह दिल्ली पुलिस में इस संक्रमण से होने वाली पहली मौत है। अधिकारियों ने बताया कि कांस्टेबल का नमूना कोविड-19 की जांच के लिए भेजा गया था। जांच रिपोर्ट में बुधवार को संक्रमण की पुष्टि हुई। दिल्ली पुलिस आयुक्त एस एन श्रीवास्तव ने ट्वीट कर कांस्टेबल की मौत पर दुख जताया और मृतक के परिजनों को सहायता का आश्वासन दिया।
उन्होंने ट्वीट किया, पीएस भारत नगर के कांस्टेबल अमित कुमार के आकस्मिक निधन से पुलिस बिरादरी दुखी है। हम दुख की इस घड़ी में उनके परिवार के साथ खड़े हैं और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उन्हें इस दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे। उनके परिवार को हरसंभव सहायता प्रदान की जाएगी। पुलिस ने बताया कि हरियाणा के सोनीपत का रहने वाले कुमार उत्तर पश्चिम दिल्ली के भारत नगर पुलिस थाने में तैनात थे। उन्होंने बताया कि वह मंगलवार को बीमार पड़ गए। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि मंगलवार शाम को जब कांस्टेबल ने बताया कि उनकी तबियत ठीक नहीं लग रही है तो फौरन राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया जहां कुमार को मृत लाया गया घोषित कर दिया गया। उन्होंने बताया कि कांस्टेबल के संपर्क में आए पुलिसर्किमयों को घर में पृथक-वास के लिए कहा गया है। वहीं कुमार की पत्नी के भाई ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, वो एक स्वस्थ्य इंसान थे जो किसी बीमारी से पीड़ित नहीं थे और सोमवार तक ड्यूटी पर तैनात थे।
सोमवार को मृतक कुमार के साथ रहे उनके दो सहयोगियों ने आरोप लगाया कि उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करने से पहले दो हॉस्पिटल ने पहले कोरोना टेस्ट रिपोर्ट की मांग की थी। एक सहयोगी ने कहा, सोमवार को सुबह के समय मेरी उससे मुलाकात हुई थी। शाम को वो नेहरू विहार में हमारे आवास पर आया और ठंड व असहज महसूस करने की शिकायत की। इस दौरान उसने मुखर्जी नगर स्थित अपने कमरे पर जाने के बजाय हमारे घर पर रहने का फैसला लिया। सोमवार देर रात वो बेदम सा होगा। हमने उसे गर्म पानी दिया, इसपर उसे बेहतर महसूस हुआ और वो सो गया। सुबह में वो फिर से सांस नहीं ले पा रहा था। इस हम उसे हॉस्पिटल ले जाने के लिए सुबह आठ बजे घर से निकले। देशभर में कोरोना वायरस से जुड़ी खबर लाइव पढ़ने के लिए यहां क्कि करें एक सहयोगी ने दावा किया कि सुबह आठ बजे वो कुमार के दिल्ली पुलिस हैदरपुर कोविड-19 टेस्टिंग सेंटर पर ले गए। यहां हमें एहसास हुआ कि उसकी सिर्फ टेस्टिंग हो सकती है मगर भर्ती नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि तब कुमार खुद खड़ा भी नहीं हो पा रहा था, उसे सांस लेने में मुश्किल हो रही थी। इसलिए हमें यहां से बाबा साहेब आंबेडकर हॉस्पिटल भेजा गया। वहां हम उसे लिए लंबे समय तक एक लाइन में खड़े रहे। इसके बाद भारत नगर के एसएचओ ने वहां के एक डॉक्टर से बात की। डॉक्टर ने कहा कि उनके यहां सिर्फ टेस्टिंग की जा सकती है, मगर कोरोना संक्रमण की पुष्टि होने की स्थिति में उन्हें भर्ती नहीं किया जा सकता है। कांस्टेबल अमित कुमार के एक अन्य सहयोगी ने कहा कि हमने डॉक्टर से खूब विनती की। उसमें नजर आ रहे सभी लक्षणों से लग रहा था कि उसे कोरोना वायरस है। हमने वहां करीब ढाई घंटे बर्बाद किए। मामले में संपर्क किए जाने पर आंबेडकर हॉस्पिटल के डॉक्टर मनमोहन कोहली ने इंडियन एक्सप्रेस के फोन और मैसेज का जवाब नहीं दिया। डॉक्टर कोहली अभी क्वारंटाइन हैं।
इसके बाद दोनों सहयोगी कुमार को भरत नगर में दीपचंद बंधू हॉस्पिटल में लेकर गए और एसएचओ द्वारा एक ड्यूटी ऑफिसर को भी भेजा गया। सहयोगी ने बताया कि वहां एक डॉक्टर ने कहा कि हमें उसे अशोक विहार में टेस्टिंग के लिए ले जाने की जरुरत है। वहां हम दोपहर करीब डेढ़ से दो बजे के बीच पहुंचे। वहां उसकी टेस्टिंग के लिए हमने डॉकटरों से अपील की। और आखिर में उसकी टेस्टिंग की गई और हमें सलाह दी गई कि हम उसे घर वापस ले जाएं और वहां उसकी देखभाल करें। फिर तीनों नेहरू विहार स्थित घर लौट आए। उन्होंने दावा किया कि कुछ दवाएं लेने के बाद वो बेहतर महसूस कर रहा था। उसने अपनी पत्नी से बात की जो सोनीपत में रहती हैं। मगर शाम को साढ़े छह और सात बजे की बीच उसकी हालत बिगड़ गई। वो चल नहीं सकता था। हमने उसे अपनी बाहों में उठा लिया और पांच मंजिल नीचे उतकर कार में बिठाया। एसएचओ को भी जानकारी दे दी गई। वो आरएमएल अस्पताल में एक डॉक्टर के संपर्क में आए और हम वहां पहुंचे। वो थोड़ी देर के लिए कार में होश में था। हमने उससे कहा कि भाई हौसला रख, इसके जवाब में उसने कहा कि ठीक है।
हम हॉस्पिटल से सिर्फ दो किलोमीटर दूर थे जब उसने अपनी चेतना खो दी। हॉस्पिटल पहुंचे तो उसे मृत घोषित कर दिया गया। उल्लेखनीय है कि साथी पुलिसकर्मी की मौत पर उनके कई साथियों ने नाराजगी भी जाहिर की है। नाम ना छापने की शर्त पर पुलिसकर्मियों ने कहा कि क्या दिल्ली का एक भी हॉस्पिटल अमित कुमार को भर्ती ना कर सका। अगर कोई अफसर होता तो शायद उसे अच्छे अस्पताल में तुरंत भर्ती भी कराया जाता और अच्छा ट्रीटमेंट भी मिलता, और वो जिन्दा भी होता। उन्होंने कहा कि अमित की मौत में जिस तरह की अनदेखी की गई है, उससे तमाम ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मियों को खुद की चिंता सता रही है। साथी पुलिसकर्मी उसे लेकर एक से दूसरे अस्पताल भटकता रहा, लेकिन किसी ने उसे भर्ती नहीं किया।