सर्वे : दो तिहाई से ज्यादा किसानों को फसल बीमा के तौर-तरीके नहीं पता !
दिल्ली| केंद्र सरकार विज्ञापन और अन्य माध्यमों से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रचार-प्रसार में भले ही ताकत झोंक रही हो, लेकिन हकीकत है कि दो तिहाई से ज्यादा किसानों को फसल बीमा का फायदा लेने के तौरतरीकों को जानकारी ही नहीं है। जलवायु जोखिम प्रबंधन संस्थान डब्ल्यूआरएमएस के सर्वे में यह सामने आया है।
दो साल पहले शुरू हुई योजना–
योजना की शुरुआत 2016 में हुई थी। यह जलवायु तथा अन्य आपदाओं के दौरान फसल बीमा का एक बड़ा माध्यम है। योजना के तहत ऋण लेने वाले किसान को न केवल सब्सिडी वाली दरों पर बीमा दिया जाता है, बल्कि जिन किसानों ने ऋण नहीं लिया है, वे भी इसका लाभ ले सकते हैं। सर्वे के अनुसार 40.8 प्रतिशत लोग औपचारिक स्रोतों मसलन कृषि विभाग, बीमा कंपनियां या ग्राहक सेवा केंद्रों से सूचना जुटाने की कोशिश करते हैं।
स्कीम में कवर किसान को फायदा हुआ–
हालांकि बीमा योजना के दायरे में आए किसान इससे काफी संतुष्ट हैं। आपदा के समय फसल नष्ट होने पर बीमित किसानों को नुकसान की एक बड़ी राशि मिली है, जिससे वे खुश हैं। हालांकि इसके तहत कवर किसानों का दायरा तेजी से नहीं बढ़ रहा है।
29 फीसदी को ही बेहतर जानकारी–
डब्ल्यूआरएमएस कि हाल में आठ राज्यों (उत्तर प्रदेश, गुजरात, ओड़िशा, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, नगालैंड, बिहार और महाराष्ट्र में यह सर्वे कराया। जिन किसानों से राय मांगी गई, उनमें से सिर्फ 28.7 प्रतिशत को ही पीएमएफबीवाई की बेहतर जानकारी थी।
इन परेशानियों से जूझ रहे किसान–
क्लेम मिलने या न मिलने का कारण नहीं बताया जाता
ऋण नहीं लेने वाले किसानों का नामांकन कठिन
बुवाई और जमीन का प्रमाणपत्र लेने में समय
बैंक शाखा या ग्राहक सेवा केंद्र में नामांकन में वक्त
फसल बीमा के दावों की गणना से भी किसान अनजान
दायरा–
49 लाख से ज्यादा योजना के दायरे में 2017-18 में
57 लाख से ज्यादा योजना के तहत 2016-17 में
9628 करोड़ रुपये के दावे निपटाए 2017 की खरीफ फसल में
कब कितना बजट–
2016-17 : 11054.63
2017-18 : 9419.79
2018-19 : 13014.15