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March 28, 2024
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सीमा पर ‘युद्ध’ की तैयारी में है चीन ! इन सैटेलाइट तस्वीरों ने किया साफ

  • May 29, 2020
  • 1 min read
सीमा पर ‘युद्ध’ की तैयारी में है चीन ! इन सैटेलाइट तस्वीरों ने किया साफ

नई दिल्ली। सैटेलाइट से मिली तस्वीरों ने चीन का दोहरा चरित्र देश सामने ला दिया है। एक ओर चीन के अंबेसडर सन वेडॉन्ग ने कहा कि ड्रैगन और हाथी एक साथ डांस कर सकते हैं, दूसरी तरफ सेना ने सैटेलाइट की तस्वीरें देखी, जो दिखाती हैं कि चीन ने लद्दाख वॉर मॉडल को हेलन शन इलाके में रीक्रिएट किया था, ताकि इसकी अच्छे से स्टडी की जा सके और अपने सुरक्षा बलों को भविष्य के संभावित हमले के लिए प्रशिक्षित किया जा सके।

इस इलाके में सुरक्षा बल, हैलीपैड, पावर प्लांट यूनिट, पीएलए कैंप और बड़े ट्रक देखे गए हैं। इससे चीन का दोहरा चरित्र उजागर हुआ है कि एक तरफ तो चीन शांति की बात करता है और दूसरी तरफ हमला करने की तैयारी कर रहा है।

बैठक में लिया गया ये फैसला
ये फैसला एक बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की। इसमें सीडीएस जनरल बिपिन राव और तीनों सेनाओं के प्रमुख भी मौजूद थे। बैठक मंगलवार को हुई थी, जिसमें लद्दाख की स्थिति पर चर्चा की गई। बैठक के दौरान ये साफ किया गया कि भारतीय सेना अपना किला नहीं छोड़ेगी और जितना सुरक्षा बल चीन तैनात करेगा, उतनी तैनाती भारत की ओर से भी की जाएगी।

चीन के लिए बड़े काम के हैं ये ड्रोन
चीन की तरफ से सीमा पर अनमैन्ड एरियल व्हीकल (UAV) यानी ड्रोन लगाए जाएंगे। इसी से चीन की मंशा का अंदाजा लगाया जा सकता है। चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स में कहा गया है कि UAV AR500C सैनिक परीक्षण, कम्यूनिकेशन, इलेक्ट्रॉनिक डिसरप्शन और ऊंचाई से फायर स्ट्राइक करने जैसे मिशन को अंजाम देने में सक्षम है। कहा था कि ये ड्रोन चीन के भारत के साथ लगने वाली दक्षिण-पश्चिम सीमा पर चीन को सुरक्षा देने में बड़े काम का साबित होगा।

​भारत से तीन गुना है रक्षा बजट-
अभी 26 मई को ही चीन का रक्षा बजट आया है। इस साल इसे 179 बिलियन डॉलर रखा गया है, इसके पीछे देश के सामने खड़ी चुनौतियों को बताया गया है। पिछले साल के मुकाबले में इसे 6.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। भारत की बात करें तो हमारा रक्षा बजट साल 2020 के लिए 66.9 बिलियन डॉलर है। चीन का ताजा बजट इसका 2.7 गुना ज्यादा है।

किसके पास कितनी सेना-
चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी में फिलहाल 22 लाख सक्रिय कर्मचारी हैं, जबकि भारत में यह संख्या 15 लाख है।

परमाणु हथियारों की संख्या में चीन आगे-
चीन के पास कुल 260 परमाणु हथियार है तो दूसरी तरफ भारत के पास सिर्फ 110 परमाणु हथियार हैं।

​दोनों एक दूसरे की मिसाइल रेंज की जद में-
अगर युद्ध मिसाइलों का होता है तो भारत और चीन एक दूसरे की जद में हैं। भारत के पास 5 हजार किलोमीटर तक मार करनेवाली अग्नि-5 मिसाइल है। चीन का ज्यादातर हिस्सा इसकी रेंज में है। वहीं चीन के पास DF-41 मिसाइल है। 2019 में दिखाई गई इस मिसाइल के साथ दावा किया गया था कि यह 30 मिनट में अमेरिका पर हमला कर सकती है। इसकी रेंज 9,320 किलोमीटर है। इसे न्यूक्लियर हथियार ले जाने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

एयरक्राफ्ट के मामलों में चीन आगे-
विमानों की संख्या में चीन फिलहाल हमसे आगे है। इसके पास 3,210 विमान हैं। वहीं भारत के पास 2,123 विमान। लड़ाकू विमानों की बात करें तो यह भारत के पास 538 हैं, वहीं चीन के पास 1,232 हैं। हेलिकॉप्टर भारत के पास कुल 722 वहीं चीन के पास 911 हैं।

चीन से सटे बॉर्डर पर कितना तैयार भारत-
चीन के सीमावर्ती इलाके में भारत के पास 15 इनफैंटरी डिविजन (हर डिविजन में 12 हजार से ज्यादा सैनिक) हैं। इसके साथ ही तोपखाने, मिसाइलें, टैंक और एयर डिफेंस रेजिमेंट भी हैं।

राफेल के आने से मजबूत होगा भारत-
भारत ने फ्रांस के साथ 36 राफेल विमान का सौदा किया है। इनमें से चार जुलाई के आखिर तक भारत आ सकते हैं। इनका आना भारत को मजबूती देगा। फिछले दिनों LAC पर चीनी हेलिकॉप्टर उड़ते देखे गए थे। इसके साथ ही खबर है कि चीन ने लद्दाख के पास एयरबेस बनाकर फाइटर जेट वहां खड़े किए हैं।

भारतीय सैन्य कमांडरों की बैठक, तोपें भी भेजी गईं
भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में चीन के आक्रामक सैन्य व्यवहार को ‘मजबूती से’ रोकने के लिए रणनीति के तहत एक ओर जहां अतिरिक्त सैनिक और अस्त्र-शस्त्र भेजे हैं, वहीं दूसरी तरफ सैन्य कमांडरों ने क्षेत्र में नाजुक स्थिति पर गुरुवार को लगातार दूसरे दिन चर्चा की। अधिकारियों ने बताया कि पैंगोंग त्सो, गलवान घाटी, देमचोक और दौलत बेग ओल्डी में भारत की मौजूदगी को मजबूत करने के लिए सैनिक, वाहन और उपकरण आदि भेजे गए हैं।

सैन्य कमांडरों ने बुधवार को भी तीन दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन पूर्वी लद्दाख की स्थिति पर गहन चर्चा की थी। सूत्रों ने बताया कि थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे की अध्यक्षता में हो रहे सम्मेलन में जम्मू कश्मीर तथा पूर्वोत्तर के कुछ खास क्षेत्रों में आतंकवाद रोधी अभियानों पर भी चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख में सभी विवादित क्षेत्रों में आक्रामक हावभाव जारी रखेगी और यथास्थिति कायम होने तक पीछे नहीं हटेगी।

सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में अपनी शक्ति बढ़ा ली है। यहां तक कि वहां तोप भी पहुंचा दी हैं। कमांडरों का सम्मेलन पहले 13 से 18 अप्रैल तक होना था, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर इसे टाल दिया गया था। यह सम्मेलन हर साल अप्रैल और अक्टूबर में होता है। सम्मेलन का दूसरा चरण जून के अंतिम सप्ताह में होगा। इस बीच, भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध को सुलझाने के लिए वह चीन के साथ सैन्य और राजनयिक स्तर पर बात कर रहा है।