बेबाक, निष्पक्ष, निर्भीक
April 26, 2024
उत्तर प्रदेश ब्रेकिंग न्यूज़ राजनीति राष्ट्रीय

अखिलेश यादव बोले- ‘किसानों की तबाही से भाजपा को लेना-देना नहीं, लगातार कर रही छल’

  • July 15, 2020
  • 1 min read
अखिलेश यादव बोले- ‘किसानों की तबाही से भाजपा को लेना-देना नहीं, लगातार कर रही छल’

लखनऊ | सपा के अध्यक्ष और पुर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा को किसानों की तबाही से कोई परेशानी नहीं है। वह लगातार किसानों से छल कर रही है। कोरोना संकट के बहाने वह बड़े उद्यमियों की दिक्कतें दूर करने में ही व्यस्त है। पिछले दिनों बेमौसम बरसात, ओलावृष्टि और बिजली गिरने के संकट से हुए नुकसान से किसान उबर नहीं पाए थे कि बाढ़ और टिड्डी दल के प्रकोप ने उनकी परेशानियों में भारी वृद्धि कर दी है।

सपा अध्यक्ष ने कहा कि ओलावृष्टि और बेमौसम बरसात से किसानों को भारी क्षति पहुंची है। सपा ने किसानों को मुआवजे में देने की मांग उठाई थी, लेकिन भाजपा सरकार ने मौन साध लिया। बुंदेलखंड व बृज क्षेत्र में सैकड़ों किसानों ने आत्महत्या कर ली। आकाशीय बिजली गिरने से भी कई लोग मारे गए। किसान की आय दोगुनी करने का दावा 2022 तो छोड़िए 2024 तक भी नाउम्मीदी ही रहेगा। किसानों को उत्पादन लागत भी नहीं मिल रही है।  अखिलेश ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों की फसलों की कहीं खरीद नहीं हुई। बहुत जगहों पर तो क्रय केंद्र ही नहीं खुले। जहां खुले थे, वहां किसान को किसी न किसी बहाने से ऐसे परेशान किया गया कि वह बिचौलियों और आढ़तियों को ही उत्पाद बेच दें। 

उन्होंने कहा कि किसानों का हित करने के नाम पर भाजपा सरकार ने डीजल के दाम बढ़ा दिए, जिसकी खेती-किसानी में बहुत जरूरत होती है। बिजली के दाम भी बढ़ाए दिए गए। गन्ना किसानों का 12 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा गन्ना मूल्य बकाया है। मंडियों को लेकर भी भाजपा सरकार गंभीर नहीं है। बिचौलियों के लिए उन्हें ही समाप्त किया जा रहा है। पूरे देश में खुले बाजार का किसान क्या ओढ़ेगा, क्या बिछाएगा?

अखिलेश ने कहा कि देवरिया, बहराइच समेत कई जिलों में बाढ़ से हजारों बीघा फसल जलमग्न हो गई है। भाजपा सरकार किसानों की तत्काल मदद करने की जगह अभी नुकसान के आंकलन के फेर में ही पड़ी है। किसान को कुछ नही देने का यह अच्छा बहाना है। इधर, प्रदेश में टिड्डियों का भी जबर्दस्त हमला हुआ। हजारों बीघा फसल वे देखते-देखते सफाचट कर गईं। सरकार सिर्फ  ढोल पीटने और शोर मचाकर उन्हें भगाने में ही अपना कौशल दिखाती रही।