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April 16, 2024
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चाचा शिवपाल यादव और राजा भैया की पार्टी से कोई फर्क नही, BJP हराना हमारा मकसद : अखिलेश यादव

  • October 16, 2018
  • 1 min read
चाचा शिवपाल यादव और राजा भैया की पार्टी से कोई फर्क नही, BJP हराना हमारा मकसद : अखिलेश यादव

लखनऊ । सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि चाचा शिवपाल और राजा भैया के अलग पार्टी बनाने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। मुकाबला सीधे भाजपा से है और उसे हराना हमारा मकसद है। हालांकि उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में किसी भी सवाल का सीधा जवाब नहीं दिया।

सोमवार को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम के बेटे के विवाह समारोह में हिस्सा लेने साकेतनगर पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश ने कहा कि लोहिया जयंती समारोह में पहुंचे शत्रुघ्न सिन्हा और यशवंत सिन्हा ने लोगों को जगाने की मुहिम छेड़ी है। यह लोकतंत्र के लिए बड़ी बात है। यशवंत सफल वित्तमंत्री और शत्रुघ्न सफल सांसद, मंत्री और कलाकार रहे हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बसपा मुखिया मायावती अलग चुनाव लड़ना चाहती हैं तो लड़ें। मध्य प्रदेश में हम बीएसपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। एमपी में सपा चौथे नंबर की पार्टी है।

अखिलेश ने कहा कि महागठबंधन के कमजोर होने के भ्रम में भाजपा ने कैराना, गोरखपुर और फूलपुर सीट गंवा दी। आगामी पांच राज्यों के चुनाव नतीजे भाजपा का घमंड तोड़ देंगे। लोकसभा चुनाव में देश की जनता को दोबारा ठगने का उन्हें मौका नहीं मिलेगा। तंज कसा कि कानपुर में दाखिल होते ही एक भाजपा सांसद का फोन आया था। नाम खोलने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सच्चाई जानने के लिए मेरे फोन की सीडीआर निकलवा सकते हैं।

वल्लभ भाई पटेल ने आरएसएस पर लगाई थी रोक-
अखिलेश ने कहा कि इतिहास गवाह है कि गृहमंत्री रहने के दौरान सरदार वल्लभ भाई पटेल ने आरएसएस पर रोक लगाई थी। इसी सच्चाई को दबाने के लिए उनकी प्रतिमा बनवाई है। यहां भी भावनाओं से खिलवाड़ किया। प्रतिमा की तस्वीर और निर्माण चीन की एजेंसी से कराया गया और नारा स्वदेशी का दिया जा रहा है।

गंगा मैया को हर तारीख पर दिया धोखा-
अखिलेश ने कहा, गंगा स्वच्छता के नाम पर भी भाजपा धोखा दे रही है। दावा किया जा रहा है कि गंगा मैया को साफ करके दिखाएंगे, पर हकीकत है कि तारीख पर तारीख ही दी जा रही है। गंगा अब तक साफ नहीं हो सकीं। जो लोग गंगा को धोखा दे सकते हैं, उन्हें आप समझ लीजिए। एक प्रोफेसर और डॉक्टर सरकार को जगाना चाहते थे, उनके बजट पर गंगा मैया साफ हो सकती थीं। जान चली गई, लेकिन गंगा साफ नहीं हुईं।