आशुतोष का इस्तीफा किया खारिज, केजरीवाल बोले- ‘आपको बहुत प्यार करते हैं’
नई दिल्ली | दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आशुतोष का इस्तीफा खारिज कर दिया है। उन्होंने आशुतोष की तरफ से इस्तीफे को लेकर किए गए ट्वीट के जवाब में एक ट्वीट करते हुये लिखा- ना, इस जनम में तो नहीं। अरविंद केजरीवाल ने लिखा कि आखिर कैसे हम आपका इस्तीफा स्वीकार कर लें? ना इस जन्म में तो नहीं।
इसे पहले, आशुतोष ने बुधवार की सुबह ‘आप’ की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) को इस्तीफा भेज कर खुद को पार्टी से अलग करने की सूचना दी। आशुतोष ने ट्वीट कर अपने फैसले की सार्वजनिक घोषणा करते हुए कहा कि ‘हर यात्रा का अंत अवश्यंभावी है। ‘आप’ के साथ मेरे खूबसूरत और क्रांतिकारी जुड़ाव का भी अंत हो गया है।’ उन्होंने पार्टी से इस्तीफे की वजह बताते हुये कहा कि यह नितांत निजी कारणों से लिया गया फैसला है।’ आशुतोष ने आप के साथ अपने सियासी सफर में उन्हें सहयोग देने वाले सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं का शुक्रिया अदा किया। पार्टी की ओर से इस बारे में फिलहाल कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की गयी है।
How can we ever accept ur resignation?
ना, इस जनम में तो नहीं। https://t.co/r7Y3tTcIOZ
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) August 15, 2018
उल्लेखनीय है कि साल 2015 में दिल्ली में केजरीवाल सरकार के गठन के बाद आप से अलग हुये प्रमुख नेताओं की फेहरिस्त में आशुतोष, चौथा बड़ा नाम हैं। इससे पहले आप के संस्थापक सदस्य योगेन्द्र यादव, प्रशांत भूषण और शाजिया इल्मी पार्टी से नाता तोड़ चुके हैं। पिछले कुछ समय से पार्टी की गतिविधियों से अलग चल रहे कुमार विश्वास भी आप नेतृत्व से नाराज बताए जाते हैं। पूर्व पत्रकार आशुतोष ने साल 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप को मिली कामयाबी के फलस्वरूप केजरीवाल के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में वह आप के टिकट पर दिल्ली की चांदनी चौक सीट से चुनाव लड़े थे। हालांकि इसमें उन्हें भाजपा के डा. हर्षवर्धन के सामने हार का सामना करना पड़ा था।
कुमार विश्वास ने किया ये ट्वीट-
इसी दौरान आम आदमी पार्टी नेता कुमार विश्वास ने ट्वीट किया है कि हर प्रतिभासम्पन्न साथी की षड्यंत्रपूर्वक निर्मम राजनैतिक हत्या के बाद एक आत्ममुग्ध असुरक्षित बौने और उसके सत्ता-पालित, 2G धन लाभित चिंटुओं को एक और ‘आत्मसमर्पित-क़ुरबानी’ मुबारक हो ! इतिहास शिशुपाल की गालियाँ गिन रहा है। आज़ादी मुबारक।